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नीदरलैंड्स स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने कुलभूषण जाधव की फांसी की सजा पर आखिरी फैसला आने तक रोक लगा दी है। कोर्ट ने जाधव को कॉन्स्यूलर एक्सेस देने को कहा। कोर्ट ने कहा- “जाधव को दया याचिका दायर करने का हक है और सिविलाइज्ड सोसायटी में हर देश को पहले से तय नतीजे पर सजा देने का अधिकार नहीं है। पाकिस्तान कोर्ट को ये बताए कि उसने कोर्ट के दिए ऑर्डर पर क्या एक्शन लिए। इस केस की मैरिट के आधार पर सुनवाई होगी। दोनों देशों की सरकारों को अागे के लिए अपने जवाब कोर्ट देंगे।” बता दें कि पिछले महीने पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने इंडियन नेवी के पूर्व अफसर जाधव को जासूसी के मामले में फांसी की सजा सुनाई थी। इसी के खिलाफ भारत ने अपील की। 18 साल बाद दोनों देश इंटरनेशनल कोर्ट में आमने-सामने हैं।
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस के चीफ जस्टिस रोनी अब्राहम और बाकी 10 जज 3.24 मिनट (भारतीय वक्त के मुताबिक) पर कोर्ट रूम पहुंचे। भारत और पाकिस्तान की टीमें भी कोर्ट रूम में मौजूद थीं। इस दौरान भारत के चीफ लॉयर हरीश साल्वे मौजूद नहीं थे।
सबसे पहले जज ने आरोप पढ़कर सुनाए। बताया कि जाधव को पाकिस्तान की मिलिट्री कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। भारत ने वियना कन्वेंशन के वॉयलेशन का आरोप लगाया है। जज ने कहा- मैं पूरा केस पढ़कर नहीं सुनाउंगा। सिर्फ इसकी समरी बताउंगा।
जज अब्राहम ने कहा- पाकिस्तान के ऑब्जेशंस पुख्ता नहीं हैं
1. ” जाधव को 3 मार्च 2016 को गिरफ्तार किया गया था। इसकी जानकारी 25 मार्च को दी गई। भारत ने कॉन्स्यूलर एक्सेस मांगा और कई बार इसे दोहराया। 23 जनवरी 2017 को पाकिस्तान ने भारत को कुछ सबूत दिए। 4 अप्रैल 2017 को पाकिस्तान के फॉरेन कोर्ट ने प्रेस रिलीज में बताया कि जाधव को वहां की मिलिट्री कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है।”
2. “भारत ने विरोध किया। जाधव को पाकिस्तानी कानून के मुताबिक, 40 दिन में सजा के खिलाफ अपील करनी थी, लेकिन ये हुआ या नहीं? इस कोर्ट को इसकी जानकारी नहीं है।”
3. ” जाधव की गिरफ्तारी को लेकर डिस्प्यूट हैं। इसे ध्यान में रखना होगा। भारत और पाकिस्तान दोनों वियना कन्वेंशन का हिस्सा हैं।”
4. ” कोर्ट ने कहा कि पाकिस्तान के ऑब्जेशंस पुख्ता नहीं हैं लिहाजा इन पर विचार नहीं किया जा सकता। लेकिन ये भी ध्यान रखना होगा कि इस मामले में दोनों देशों के बीच म्युचुअल ट्रीटी (आपसी समझौता) है। इसे 2008 में रिव्यू भी किया जा चुका है।”
5. ” वियना कन्वेंशन के मुताबिक, ये जरूरी है कि सभी सदस्य देश एक-दूसरे नागरिकों को हर हाल में कॉन्स्यूलर एक्सेस मुहैया कराएं।”
6. ” भारत को ये अधिकार है कि वो कॉन्स्यूलर एक्सेस के लिए अपील करे। पाकिस्तान कोर्ट का आखिरी फैसला आने तक जाधव को सजा नहीं दे सकता।”
7. “जाधव को दया याचिका दायर करने का हक है और सिविलाइज्ड सोसायटी में हर देश को पहले से तय नतीजे पर सजा देने का अधिकार नहीं है। पाकिस्तान कोर्ट को ये बताए कि उसने कोर्ट के दिए ऑर्डर पर क्या एक्शन लिए। इस केस की मैरिट के आधार पर सुनवाई होगी। दोनों देशों की सरकारों को अागे के लिए अपने जवाब कोर्ट देंगे।”
अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया मुकुल रोहतगी ने कहा: पाकिस्तान की दलीलें गलत थीं
“इस फैसले ने ये दिखा दिया कि पाकिस्तान की दलीलें गलत थीं। प्रॉपर ट्रायल और मिलिट्री ट्रायल बोगस था। तब तक पाकिस्तान जाधव को फांसी नहीं दे सकता, जब तक इंटरनेशनल कोर्ट फाइनल डिसीजन नहीं सुना देती। सारा भारत और जाधव की फैमिली इत्मिनान से रह सकती है, वो सेफ हैं।”
भारत पाक ने कब रखीं थी अपनी-अपनी दलीलें
जाधव मामले में 15 मई को सुनवाई हुई थी। भारत और पाकिस्तान ने अपनी दलीलें पेश की थींं। भारत ने कहा था कि पाक ने जाधव तक डिप्लोमैटिक पहुंच न देकर वियना संधि का वॉयलेशन किया है। वहीं, पाक ने इसे नेशनल सिक्युरिटी का मुद्दा बताते हुए अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाए थे।
ह्यूमन राइट्स को हवा में उड़ा देता है PAK
हरीश साल्वे ने कहा- “हमें आशंका है कि पूरी सुनवाई होने या फैसला आने से पहले ही पाक जाधव को फांसी पर न चढ़ा दे। अगर ऐसा हुआ तो दुनिया में गलत मैसेज जाएगा। दुनियाभर में ऐसे मामलों में ह्यूमन राइट्स बेसिक प्रैक्टिस माने जाते हैं, पाक इन्हीं को हवा में उड़ा देता है।”