नई दिल्ली
कश्मीर घाटी में बच्चों को कट्टरपंथ का ‘धीमा जहर’ पिलाने की कोशिश की जा रही है। असली और नकली बंदूकों के साथ खड़े बच्चों की तस्वीरों को बांटा जा रहा है। इसका मकसद यह है कि घाटी के बच्चे भी इस तरह की तस्वीर खिंचवाएं। यह काम बच्चों के बीच ‘फैशन’ की तरह छा जाए। इन तस्वीरों के साथ यह संदेश भी दिया जा रहा है कि ‘किताबें छोड़ो, बंदूक पकड़ो ताकि कश्मीर आजाद हो।’ कुछ तस्वीरों में बच्चे पड़ोसी देश के झंडे के साथ नजर आ रहा हैं। सूत्रों के मुताबिक, इन बच्चों को आतंकवाद की ओर आसानी से मोड़ने के मकसद से यह सब किया जा रहा है।
सुरक्षा एजेंसियों को ऐसी तस्वीरें हाथ लगी हैं, जिन्हें वे कट्टरपंथ का धीमा जहर मान रही हैं। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि आतंकवादियों और अलगाववादियों ने मिलकर यह मुहिम छेड़ी है, जो घाटी में अशांति के इतिहास में पहले कभी नहीं देखी गई थी। सूत्रों का कहना है कि घाटी के अलगाववादी खुद अपने बच्चों को देश और विदेश में अच्छी शिक्षा दिला रहे हैं, लेकिन कश्मीरी बच्चों को शिक्षा से दूर करने की हर मुमकिन साजिश रची जा रही है।
हाल के दिनों में घाटी में स्कूलों को जला दिया गया। स्कूली बच्चों को पत्थरबाजी करने के लिए उकसाया गया, जिनकी तस्वीरें भी हाल में सामने आई हैं। सरकारी नौकरियों में जाने वालों को धमकी दी जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि घाटी के अशांत इलाकों में भी बच्चों में पढ़ने की काफी ललक देखी गई है। इसे देखते हुए आर्मी स्थानीय आबादी के लिए गुडविल स्कूल चलाती है, जिसमें दाखिला चाहने वालों की कमी नहीं है, क्योंकि अशांति के बावजूद ये स्कूल चलते रहते हैं, लेकिन बजट की कमी होने से इस तरह के स्कूल हर इलाके में नहीं चलाए जा सकते।
सूत्रों के मुताबिक, स्कूली शिक्षा के जो दूसरे माध्यम हैं, उनको खत्म कर बच्चों को ‘जिहादी’ बनने के लिए तैयार किया जा रहा है। एक अनुमान के मुताबिक घाटी में पिछले एक साल 100 से ज्यादा युवक आतंकवाद की ओर मुड़ गए थे, जबकि इस साल 23 से ज्यादा के शामिल होने की रिपोर्ट मिली है। इनकी उम्र 18 से 22 साल के बीच बताई जा रही है। अब नजर स्कूली बच्चों पर है, ताकि उन्हें अभी से बंदूकों से खेलना सिखाया जाए।