नई दिल्ली
केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। अनिल माधव मोदी सरकार में पर्यावरण मंत्री थे, 61 साल की उम्र में उनका दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह एम्स में भर्ती थे, वहीं उन्होंने अंतिम सांस ली।
पीएम मोदी ने ट्वीट कर पर्यावरण मंत्री अनिल माधव के निधन पर शोक जताया है और कहा है कि उनका जाना व्यक्तिगत नुकसान है। पीएम ने बताया कि बीती शाम तक वह अनिल माधव के साथ थे और पर्यावरण से जुड़े प्रमुख नीतिगत मामलों पर चर्चा कर रहे थे।
पीएम मोदी ने कहा कि वह अचानक अपने कॉलीग और दोस्त के निधन से बेहद हैरान हैं। दवे आज सुबह कुछ असहज महसूस कर रहे थे, जिसके बाद उन्हें एम्स ले जाया गया था।दवे साल 2009 से राज्यसभा के सदस्य थे।
सोशल मीडिया पर वायरल हुई अनिल माधव दवे की आखिरी इच्छा
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे अपनी सहजता और सादगी के लिए जाने जाते थे। उनकी इच्छा थी कि उनकी याद में स्मारक बनाने के बजाय पौधे लगाकर उन्हें बड़ा किया जाए और नदी, तालाबों को बचाया जाए। उनकी यह इच्छा उनके जाने के बाद सोशल मीडिया पर खूब शेयर की जा रही है। गुरुवार को दिल्ली में दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। दवे के भतीजे निखिल दवे ने से कहा, ‘वह (अनिल माधव दवे) हमसे कहते थे कि उनकी मृत्यु के बाद उनका कोई स्मारक न बनाया जाए। अगर कोई व्यक्ति उनकी स्मृति को चिरस्थायी रखना चाहता है, तो वह पौधे लगाकर इन्हें सींचते हुए पेड़ में तब्दील करे और नदी…तालाबों को संरक्षित करे।’
उन्होंने बताया कि दवे की अंतिम इच्छा के मुताबिक उनका अंतिम संस्कार मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में नर्मदा और तवा नदी के संगमस्थल बांद्राभान में किया जाएगा। इस स्थान पर वह अपने अलाभकारी संगठन ‘नर्मदा समग्र’ के बैनर तले ‘अंतरराष्ट्रीय नदी महोत्सव’ आयोजित करते थे। उन्हें इस जगह से खासा लगाव था।
इस बीच, सोशल मीडिया पर एक दस्तावेज की प्रति वायरल हो रही है जिसे दवे की कथित आखिरी इच्छा और वसीयत से जुड़ा बताया जा रहा है। इस दस्तावेज पर 23 जुलाई 2012 की तारीख अंकित है। इस दस्तावेज पर उनका अंतिम संस्कार बांद्राभान में वैदिक रीति से किए जाने, उनकी अंत्येष्टि में किसी तरह का आडम्बर न किए जाने, उनका स्मारक न बनाए जाने, उनकी याद में कोई प्रतियोगिता और पुरस्कार न शुरू किए जाने सरीखी बातों का जिक्र है। दवे के भतीजे निखिल ने कहा कि वह इस दस्तावेज की प्रामाणिकता की पुष्टि तुरंत नहीं कर सकते। लेकिन इस दस्तावेज में कही गई अधिकतर बातें दिवंगत केंद्रीय मंत्री की पर्यावरणहितैषी सोच और सादगी से भरी रही उनकी जीवन यात्रा से मेल खाती हैं।