भोपाल
टायपिंग-स्टेनो घोटाले में स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) को 600 लोगों के खिलाफ फर्जीवाड़े के सबूत मिले हैं। वर्ष 2013 में परीक्षा में पैसे लेकर टायपिंग-स्टेनो पास करवाने के मामले की जांच कर रही एसटीएफ ने सभी संदिग्ध 2946 अभ्यर्थियों व अन्य आरोपियों से पूछताछ पूरी कर ली है। इनमें से 600 लोगों के खिलाफ पक्के सबूत मिले हैं, जिसके बाद अब सभी की गिरफ्तारियां शुरू होंगी।
व्यापमं के बाद मप्र में यह दूसरा घोटाला होगा, जहां इतनी बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने पैसे देकर परीक्षा पास की। मामले में लोक शिक्षण संचानालय की तत्कालीन सचिव आशा जादौन, मप्र टायपिंग बोर्ड के अध्यक्ष सुभाष पांचपोर सहित 19 लोगों के खिलाफ एसटीएफ पहले ही चालान पेश कर चुकी है। वहीं 25 अभ्यर्थियों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है।
तीन स्टेपल की हुई कॉपी मतलब पास करना है
सूत्र बताते हैं कि एसटीएफ की पड़ताल में यह भी सामने आया है कि जिन अभ्यर्थियों से पैसे लिए गए उन्हें पास करने के लिए परीक्षा हॉल में ही खास मार्किंग कर दी जाती थी। इसमें उनकी कॉपी पर तीन स्टेपल किए जाते थे, जो इस बात के निशानी थे कि इस अभ्यर्थी को पास करना ही है।
धांधली ऐसी हुई कि जिन अभ्यर्थियों से पैसे लिए गए उनसे कहा गया कि जितना आए उतना ही टाइप कर देना। वहीं यह भी कहा गया था कि कॉपी खाली छोड़ कर भी आओगे, तब भी पास हो जाओगे। बोर्ड ने यह कॉपियां टायपिंग इंस्टीट्यूट से भी चैक करवाई थी। जहां इन अधूरी कॉपियों में टायपिंग करवाकर पास किया गया।
नकल भी अकल से नहीं
सूत्र बताते हैं कि बोर्ड ने जो कॉपियां बाहर से चैक करवाई और जिनमें धांधलियां हुई, उन कॉपियों में टायपिंग का पूरा पेपर ही लिख दिया गया, जिससे फर्जीवाड़ा अलग से समझ आ गया। पेपर में पहले, दूसरे, तीसरे, चौथे और पांचवें मिनट में की जाने वाले टायपिंग लिखी थीं, लेकिन नकल करते समय जो कॉपियां बाद में भरी गईं, उसमें यह नंबर भी लिख दिए गए। जबकि मूल कॉपी में ऐसा करने का कोई प्रावधान ही नहीं था।
इसलिए जमकर हुई धांधली
14 अप्रैल और 21 अप्रैल 2013 को अंग्रेजी शॉर्ट हैंड और हिंदी टायपिंग की परीक्षा ऑफलाइन होने वाली आखिरी परीक्षा थी, इसलिए इसमें जमकर फर्जीवाड़ा हुआ। धांधली ऐसी भी हुई, जिसमें पुनर्मूल्यांकन करने के दौरान भी फेल अभ्यर्थियों को पैसा लेकर पास करवा दिया गया।