नई दिल्ली।
बुलंदशहर की सीओ श्रेष्ठा ठाकुर अब योगी आदित्यनाथ पर भारी पड़ने लगी है। एक भाजपा नेता का चालान काटने के कारण योगी सरकार ने श्रेष्ठा को ट्रांसफर करके नेपाल सीमा पर भेज दिया है लेकिन अब आम जनता श्रेष्ठा के समर्थन में सड़कों पर उतर आई है। पहली बार ऐसा हो रहा है कि कोई पार्टी नहीं बल्कि आम नागरिक योगी सरकार के फैसले के खिलाफ खड़े हो गए हैं। लोग सवाल कर रहे हैं कि यूपी में किसका राज है। पार्टी का या कानून का ? लोगों का कहना है कि यूपी में केवल पार्टी बदली है। काम वैसे ही हो रहे हैं जैसे सपा, बसपा के समय हुआ करते थे
श्रेष्ठा ठाकुर ने लिखा कि ‘चिंता करने की जरूरत नहीं है, मैं खुश हूं। मैं इसे अपने अच्छे कामों के पुरस्कार के तौर पर स्वीकार कर रही हूं। आप सभी मेरे नए पोस्टिंग वाली जगह पर आमंत्रित हैं।’ श्रेष्ठा सिंह का ये पोस्ट सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। श्रेष्ठा सिंह ने जब से फेसबुक पर ये पोस्ट किया है उसके बाद से लोगों का उनके इस पोस्ट पर कमेंट आने लगे हैं। कुछ लोगों का कहना है कि श्रेष्ठा को बीजेपी नेताओं के साथ की गई ‘गुस्ताखी’ की सजा मिली है, तो कुछ की दलील है कि यह सामान्य बात है क्योंकि कुल 244 अफसरों का ट्रांसफर हुआ है, अकेले श्रेष्ठा का नहीं।
आपको बता दें कि प्रदेश सरकार ने 244 पुलिस उपाधीक्षकों का ट्रांसफर किया है। ट्रांसफर किए गए अफसरों की लिस्ट में श्रेष्ठा सिंह भी शामिल हैं। श्रेष्ठा ने पिछले महीने ट्रैफिक नियम तोड़ने के मामले में स्थानीय बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं की क्लास लगाई थी। इस घटना का विडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। और उस वक्त से वो ‘लेडी सिंघम’ के नाम से फेमस हो गई हैं।