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95% तक लेट चलती हैं सुपरफास्ट ट्रेनें, वसूला गया सरचार्ज नहीं लौटाती रेलवे

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आगरा

क्या कभी आपने सोचा है कि जिन ट्रेनों को ‘सुपरफास्ट’ बताकर रेलवे आपसे इसके नाम पर सरचार्ज वसूल करती है, अगर वे ट्रेनें सुपरफास्ट स्पीड से न चलें और वक्त पर आपको अपनी मंजिल पर न पहुंचाएं तो क्या आपको उसका पैसा वापस नहीं मिलना चाहिए? यह सवाल इसलिए कि शुक्रवार को संसद के पटल पर रखी गई सीएजी की रिपोर्ट में भी यही कहा गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि रेलवे ‘सुपरफास्ट सरचार्ज’ के नाम पर करोड़ों रुपये वसूलती है, लेकिन सुपरफास्ट तमगे वाली कई ट्रेनें न तो सुपरफास्ट स्पीड से चलती हैं और न ही वक्त पर अपने गंतव्य तक पहुंचती हैं।

सीएजी की रिपोर्ट में बताया गया है कि नॉर्थ सेंट्रल रेलवे (NCR) और साउथ सेंट्र्ल रेलवे (SCR) ने ‘सुपरफास्ट’ सरचार्ज के नाम पर यात्रियों से 11.17 करोड़ रुपये वसूले, लेकिन उनकी कुछ सुपरफास्ट ट्रेनें 95% से ज्यादा बार लेट हुईं।

रेलवे बोर्ड के मुताबिक, 55 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा की रफ्तार वाली ट्रेनें सुपरफास्ट ट्रेनों की श्रेणी में आती हैं। 2013-14 से 2015-16 तक NCR और SCR में इन ट्रेनों की आवाजाही को लेकर किए गए अध्ययन से पता चला कि 13.48% से लेकर 95.17% दिनों तक, ये ट्रेनें अपनी मंजिल पर देर से पहुंचीं। कुल मिलाकर 21 सुपरफास्ट ट्रेनें अपने संचालन के 16,804 दिनों में से 3,000 दिन लेट रहीं क्योंकि ये ट्रेनें ‘सुपरफास्ट’ स्पीड हासिल नहीं कर पाईं।

इसी तरह 2013 से 2016 के बीच कोलकाता-आगरा कैंट सुपरफास्ट ट्रेन का अध्ययन करने पर पता चला कि यह ट्रेन 145 में से 138 दिन अपने गंतव्य पर देर से पहुंची। फिलहाल ऐसा कोई नियम नहीं है कि अगर ट्रेन लेट हो जाए तो यात्रियों को उसका पैसा लौटाया जाए। अभी सिर्फ यह सुविधा है कि अगर कोई ट्रेन तीन घंटे से ज्यादा लेट होती है तो टिकट डिपॉजिट अगेंस्ट रिजर्वेशन (TDR) के जरिए यात्री को उसका रिफंड मिल सकता है।

रेलवे के मुताबिक, सुपरफास्ट सरचार्ज अलग-अलग क्लास के लिए अलग होता है। उदाहरण के लिए, जनरल कोच के लिए यह 15 रुपये है, स्लीपर के लिए यह 30 रुपये है, एसी के लिए यह 45 रुपये है (चेयर कार, एसी-3 इकॉनमी, एसी-3, एसी-2) और एसी फर्स्ट एग्जिक्युटिव क्लास के लिए यह 75 रुपये है। यह सरचार्ज 1 अप्रैल, 2013 से लागू है। आगरा डिविजनल कमर्शल मैनेजर संचित त्यागी ने कहा, ‘ट्रेनें अगर सुपरफास्ट स्पीड नहीं पकड़ पाती हैं, तो इसके पीछे कई कारण होते हैं और फिर इनकी वजह से ही ट्रेन लेट होती हैं। इनमें सबसे मुख्य कारण हैं- ट्रैक्स का मेनटेनेंस, सिग्नल में गड़बड़ी, इमर्जेंसी ब्रेक्स और ट्रेन हादसे।

जब यह पूछा गया कि क्या रेलवे को ट्रेन लेट होने की स्थिति में सुपरफास्ट सरचार्ज यात्रियों को लौटाना नहीं चाहिए, त्यागी ने कहा, ‘अभी ऐसा कोई नियम नहीं है कि अगर कोई ट्रेन लेट होती है तो यात्रियों को पैसा रिफंड किया जाए, लेकिन अगर कोई यात्री टीडीआर फाइल करता है तो उसे रिफंड दिया जा सकता है।’ ऐसे में सवाल यह है कि ग्राहकों को जागरूक करने के लिए कई तरह के विज्ञापन और कार्यक्रम चलाने वाली सरकार, क्या रेलवे के मामले में नहीं कहेगी- जागो ग्राहक जागो।

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