नई दिल्ली
नीति निर्धारण में क्षेत्र विशेष की विशेषज्ञता लाने की बड़ी पहल के तहत सरकार ने कुछ चुनिंदा विभागों में निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को मौका देने का निर्णय किया है. कार्मिक मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बारे में जानकारी दी. अधिकारी ने कहा कि सरकारी विभागों में निदेशक या संयुक्त सचिव के स्तर पर निजी क्षेत्र से 50 ऐसे विशेषज्ञों को शामिल करने के प्रस्ताव पर काम किया जा रहा है.
इन पदों पर आमतौर पर सिविल सेवा यानी आईएएस के अधिकारियों की नियुक्ति होती है. अधिकारी ने कहा कि इस संबंध में मंत्रालय ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने प्रस्तुति भी दी है. उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र के लोगों को तय अवधि की संविदा पर लाया जाएगा ताकि अच्छे और प्रभावी प्रशासन देने के सरकार के प्रयासों में उनका सहयोग लिया जा सके. उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में अभी 48 लाख कर्मचारी काम करते हैं. एक मार्च 2015 के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार के विभिन्न पदों पर 4.2 लाख पद रिक्त पड़े हैं.
निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों को सरकार में शामिल करने का सुझाव नीति आयोग की ओर आया था जिसके बाद इस संबंध में कदम उठाए गए. आयोग ने सिविल सेवा सुधारों पर मसौदा एजेंडा रपट में कहा था, अर्थव्यवस्था की बढ़ती जटिलताओं से नीति निर्माण एक विशेषज्ञ गतिविधि बन गई है. इसलिए यह जरूरी है कि पिछले दरवाजे से प्रणाली में विशेषज्ञों को शामिल किया जाए. रपट के अनुसार इस कदम से स्थापित नौकरशाही में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और लाभ होगा. सरकार ने कुछ विभागों में निजी व्यक्तियों की नियुक्ति करनी पहले ही शुरू कर दी है.
हाल में सरकार ने वैद्य राजेश कोटेचा को आयुष मंत्रालय में विशेष सचिव के पद पर नियुक्त किया था. आमतौर पर इस पद पर कोई वरिष्ठ नौकरशाह नियुक्त किया जाता है. इससे पहले पिछले साल पूर्व आईएएस अधिकारी परमेरन अयर को पेयजल व स्वच्छता मंत्रालय में सचिव नियुक्त किया गया. केंद्र ने हाल ही में बैंकिंग व केंद्रीय लोक उपक्रमों को निजी क्षेत्र विशेषज्ञों के लिए खोला है.