सचिवालय में सचिव रहे सीनियर आईएएस विमल पांडे ‘गड्ढे में गिरने’ की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्हें साबित करना पड़ रहा है कि 16 सितंबर 2015 की शाम खुले गड्ढे में ही गिरे थे, उसी वजह से उनका एक पैर फ्रैक्चर हो गया। रोजाना 5 से 7 किमी तक वॉक करने वाले आईएएस विमल पांडे को इस हादसे के बाद चलने फिरने में भी मुश्किल आती है। जिन एजेंसियों की लापरवाही से उन्हें चोट लगी, वे न सिर्फ अपनी जिम्मेदारी से बच रही हैं, बल्कि एक दूसरी सिविक एजेंसियों के ऊपर लापरवाही मढ़ रही हैं। विमल पांडे इस मामले में सिविल लाइंस थाने में केस दर्ज कराने के बाद लंबी कानूनी लड़ाई लड़ते हुए रिटायर भी हो चुके हैं।
विमल चंद पांडे 16 सितंबर की शाम वॉक पर गए थे। वह सिविल लाइंस एरिया में ही रहते थे। करीब साढ़े सात बजे जब वह एलजी हाउस के पास पहुंचे तो खुले मैनहोल में गिर पड़े। अतिसुरक्षित और पॉश एरिया होने के बावजूद न सिर्फ संबधित विभाग की लापरवाही सामने आई। बल्कि स्ट्रीट लाइटें भी बंद थी। मैनहोल खुला छोड़ दिया गया था। अंधेरा होने की वजह से हादसे का शिकार हुए। विभाग ने न तो खुले हुए मैनहोल को बंद किया था और न ही उस एरिया को ‘वर्क इन प्रोग्रेस’ के जरिए राउंड अप किया गया था। वहां पर प्रॉपर स्ट्रीट लाइट भी नहीं थी। इस हादसे में उनका बायां पैर टूट गया। इसके अलावा भी काफी चोटें आई थीं। कई मर्तबा तबीयत भी बिगड़ी। उन्होंने सिविल लाइंस थाने में ऐक्शन के लिए शिकायत की। जिसमें लापरवाही के लिए पीडब्ल्यूडी, नॉर्थ एमसीडी, एनडीपीएल को जिम्मेदार ठहाराया। 7 जनवरी को सिविल लाइंस थाने में एफआईआर दर्ज हुई।
पांडे के मुताबिक, जब एलजी हाउस के बाहर का ऐसा हाल था, तो जाहिर है बाकी हिस्सों का क्या हाल होगा। लापरवाही के लिए जिम्मेदार पीडब्ल्यूडी, एनडीएमसी और एनडीपीएल पर पुलिस ऐक्शन के लिए कहा था। इसी तरह का एक लेटर सीएम व दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय को भी लिखा। लेकिन संबंधित एजेंसियों ने मानने से ही इनकार कर दिया। केस हाईकोर्ट तक पहुंचा। जहां एजेंसियों ने दलील दी कि अगर गिरने की वजह से फ्रैक्चर आया है तो सबूत दो या चश्मदीद सामने लाओ।
पांडे ने बताया कि कोई चश्मदीद न होने की वजह से केस ऐक्शन नहीं हो सका। लेकिन अब सिविल लाइंस थाने की पुलिस ने दो आई विटनेस ढूंढ निकाले हैं। इसी महीने जुलाई में फिर से तीस हजारी कोर्ट में केस लगा है। सुनवाई की तारीख आने वाली है। पांडे के मुताबिक, रिटायरमेंट के बाद अब वह द्वारका में शिफ्ट हो गए हैं। हादसे की वजह से अपंग महसूस करते हैं।