Home राज्य अन्य 8 लाख बैंक कर्मचारियों पर ‘बैड लोन की मार’

8 लाख बैंक कर्मचारियों पर ‘बैड लोन की मार’

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सरकारी बैंक कर्मचारियों को शेयर ऑप्शन पाने के लिए इंतजार करना पड़ सकता है। बैंक बोर्ड ब्यूरो ने वित्त मंत्रालय को सुझाव दिया है कि जब तक बैंक अपनी आर्थिक स्थिति सुधार नहीं लेते, उनके कर्मचारियों को एंप्लॉयी स्टॉक ओनरशिप प्लांस (ESOPs) नहीं दिए जाने चाहिए।

NPA न हो 35% से ज्यादा
वित्त मंत्रालय ने हाल ही में देश के सबसे बड़े बैंक, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया समेत पंजाब नैशनल बैंक, कैनरा बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा और बैंक ऑफ इंडिया को नए प्रस्तावित नियम भेजे हैं। इन नियमों के मुताबिक, किसी वित्त वर्ष में ESOPs देने के लिए बैंक के पास 31 मार्च तक 65 प्रतिशत मिनिमम प्रविजन कवरेज रेशियो होना चाहिए। यानी, बैंक के पास फंसे हुए कर्जों से उबरने भर की राशि होनी चाहिए। साथ ही बैंक के नॉन-परफॉर्मिंग ऐसेट्स भी कुल वैल्यू के 35 प्रतिशत नहीं होने चाहिए। इस स्कीम को 2017-18 में अमल में लाया जा सकता है। इकनॉमिक टाइम्स के पास अप्रैल में बैंकों को मंत्रालय के भेजे हुए गाइडलाइन्स की ड्राफ्ट कॉपी मौजूद है।

8 लाख बैंक एंप्लॉयी हो सकते हैं प्रभावित
ET के मुताबिक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा के अलावा बाकी सभी सरकारी बैंकों का प्रविजन कवरेज रेशियो 65 प्रतिशत से कम है। वहीं, सभी बैंकों का एनपीए 35 प्रतिशत से ज्यादा है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि नए नियमों से लगभग 8,00,000 लोग प्रभावित होंगे। ESOPs स्कीम का पालन भी मुश्किल में पड़ सकता है। बैंक ऑफ बड़ौदा के पूर्व चेयरमेन एमडी माल्या के मुताबिक, बैंकों को इस दिशा में कदम उठाने चाहिए और इसके लिए उन्हें और ज्यादा प्रविजनिंग करनी चाहिए।

पहले थी रेशियो तय करने की छूट
लगभग 1 दशक पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने मिनिमम प्रविजन रेशियो को 70 प्रतिशत किया था, लेकिन बाद में बैंकों को ही इसे तय करने की छूट दे दी गई थी। माल्या कहते हैं कि बैंकों से प्रविजन बढ़ाने की उम्मीद करना गलत नहीं है। वह कहते हैं, ‘मुझे लगता है कि सरकार के पास ऐसा करने के काफी तर्क हैं क्योंकि ऑपरेशनल कपैसिटी, प्रॉफिटेबिलिटी, रिकवरी, प्रविजन आपस में जुड़े हुए हैं।’ शुरू हो जाने के बाद यह स्कीम 5 साल तक के लिए रहेगी। शुरू होने की तारीख बैंक ही तय करेंगे। स्केल 4 और उससे ऊपर के सभी स्थाई कर्मचारी ESOPs का लाभ उठा सकते हैं। निदेशकों की समिति इसके लिए स्केल 3 के कर्मचारियों को भी मौका दे सकती है।

पहली बार प्रस्तावित है ESOP
यह पहली बार है जब पब्लिक सेक्टर बैंकों के लिए ESOPs प्रस्तावित किया गया है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, यह गाइडलाइन्स कुछ ज्यादा ही कड़ी हैं। ऐंजल ब्रोकिंग के सीनियर इक्विटी रीसर्च ऐनालिस्ट सिद्धार्थ पुरोहित का कहना है कि भारत इस समय बैंकों को बैड लोन के दलदल से निकालने की पुरजोर कोशिश में लगा हुआ है। इन कर्जों के कारण देश की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। छोटे बैंकों की हालत देखते हुए उनके लिए इन नियमों का पालन करना मुश्किल हो सकता है। अब बैंकों को ESOPs के तहत और भी चीजों को पूरा करना होगा। इसमें नेट प्रॉफिटेबिलिटी, ऐवरेज ऐसेट पर पोस्ट-टैक्स रिटर्न, कॉस्ट टू इनकम रेशियो शामिल हैं।

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