पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में पाकिस्तान की जुल्मों की इंतेहा पार हो चुकी है. वहां अपना हक मांगने वाली जनता को पाकिस्तान सेना की गोलियां मिलती हैं. बरसों से पीओके की जनता इस जुल्म से जंग लड़ रही है. जान देकर सेना के जुल्मों के खिलाफ आवाज उठा रही है. लेकिन, अब वक्त और हालात बदल गए हैं. पीओके में आजादी की आवाज उठाने वालों में अब वहां के प्रधानमंत्री राजा फारूक हैदर खुद शामिल हो गए हैं. बता दें कि हैदर नवाज शरीफ की पार्टी के नेता भी हैं.
पीओके का प्रधानमंत्री पाकिस्तान का कठपुतली होता है, लेकिन पाकिस्तान यहां इस कदर कहर ढा रहा है कि अब पीएम हैदर को भी आवाज उठाने पर मजबूर होना पड़ा. उन्होंने पीओके में नहीं बल्कि इस्लामाबाद में बैठकर पाकिस्तान के खिलाफ बगावत का ऐलान किया. हैदर ने कहा, ‘मुझे सोचना पड़ेगा, बतौर कश्मीरी कि मैं किस मुल्क के साथ अपनी किस्मत को जोडूं.’
पीएम हैदर ने गिलगित-बाल्टिस्तान के मुख्यमंत्री के साथ इस्लामाबाद में हुए एक प्रेस कॉन्फेंस में पाक के खिलाफ अपनी आवाज उठाई. इस दौरान वो इमरान खान पर भी बरसे. उन्होंने कहा कि इमरान खान कहते हैैं कि वे अलामा इकबाल का पाकिस्तान बना रहे हैं. क्या यही है कायदे आजम और अलामा इकबाल का पाकिस्तान? मुझे बतौर कश्मीर सोचना पड़ेगा कि मैं किस मुल्क के साथ अपनी किस्मत जोड़ूं.
पीओके के पीएम हैदर की पाकिस्तान से आजादी की मांग हर किसी के लिए हैरान करने वाली है क्योंकि अब तक पीओके का हर प्रधानमंत्री पाकिस्तान सरकार और वहां की सेना के इशारों पर नाचता रहा है. फारूक भी नवाज और सेना की कठपुतली ही माने जाते हैं. अब उनका बगावत करना इस बात का पुख्ता सबूत है कि पीओके में पाकिस्तान के जुल्मों की इंतेहा पार हो चुकी है.
जानकारों के मुताबिक जनता के गुस्से से खुद को बचाने के लिए प्रधानमंत्री ने अपने तेवर बदले हैं. लेकिन उनके बयान से पूरे पाकिस्तान में उथल-पुथल मच गई है. वो सियासी गलियारे से लेकर पाकिस्तान के मीडिया तक में निशाने पर आ गए हैं, जिसके बाद उन्हें अपने बयान पर सफाई भी देनी पड़ी है. हालांकि उन्होंने ये सफाई दबाव में दी. न्यूज18 इंडिया के पास पीएम हैदर के कई ऐसे बयान हैं, जिससे साबित होता है कि उनका गुस्सा एक दिन का नहीं है बल्कि पिछले काफी दिनों से वो पाकिस्तान के जुल्मो-सितम से परेशान थे.
भारत पर बढ़ा पीओके की जनता का भरोसा
अब भारत ने जम्मू-कश्मीर में जिस तरह से अलगाववादी नेताओं पर लगाम कसी है. उसके बाद आतंक का कारोबार ठप हो गया है. भारत के इस कदम से भी पीओके की जनता की उम्मीदें बढ़ी हैं. जनता के मूड को देखकर पीओके के प्रधानमंत्री को भी पैंतरा बदलने का ये सही वक्त लगा इसलिए उन्होंने पाकिस्तान के खिलाफ बगावत की आवाज बुलंद कर दी.