Home राज्य अन्य RBI ने रीपो रेट में की कटौती, घटेगी EMI?

RBI ने रीपो रेट में की कटौती, घटेगी EMI?

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रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसीसी) ने रीपो रेट और रिवर्स रीपो रेट में 0.25% कटौती का ऐलान किया। इसके साथ ही अब मुख्य नीतिगत दर रीपो घटकर 6 प्रतिशत पर आ गया है जो पिछले साढ़े छह साल का न्यूनतम स्तर है। वहीं, रिवर्स रीपो रेट घटकर अब 5.75 प्रतिशत पर आ गया है जबकि सीआरआर 4 प्रतिशत पर बरकरार है। आरबीआई के रेट कट के ऐलान का असर ईएमआई पर भी पड़ेगा और आपकी होम लोन ईएमआई में कमी आएगी। हालांकि, यह बैंकों पर निर्भर करता है कि वो इसका कब तक और कितना लाभ आपको देंगे।

मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी के 6 में से 4 सदस्य रेट कट के पक्ष में थे। कमिटी के सदस्य प्रो. रविंद्र ढोलकिया ने तो आधे प्रतिशत की कटौती की सिफारिश की थी। हालांकि, यह समिति में सर्वमान्य नहीं हुई। इस लिहाज से उम्मीद की जा सकती है कि दो महीने बाद होनेवाली अगली मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक में भी चौथाई प्रतिशत की कटौती का फैसला लिया जाएगा। इधर, प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल ने माना कि जीएसटी को पूरे देश में बड़ी सहजता से लागू कर लिया गया। उन्होंने कहा, ‘अच्छे मॉनसून और जीएसटी के सहजता से लागू हो जाने की वजह से कमिटी को नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का फैसला लेने में आसानी हुई।’

दरअसल, मुद्रास्फीति के रेकॉर्ड निम्न स्तर पर रहने के बीच ज्यादातर एक्सपर्ट्स इस बार रीपो रेट में कटौती को लेकर काफी आशावान थे। दो दिन चलनेवाली एमपीसी की बैठक को लेकर रीपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती के ऐलान की उम्मीद जताई गई थी। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट्स का यह भी मानना था कि रिजर्व बैंक उम्मीद से भी अधिक कटौती कर सकता है क्योंकि खुदरा मुद्रास्फीति जून में 1.54 प्रतिशत के ऐतिहासिक निम्न स्तर पर पहुंच गई।

इधर, जून महीने में हुई पिछली बैठक में आरबीआई गवर्नर ने ‘समय से पहले कार्रवाई’ से बचने और मुद्रास्फीति के और आंकड़े आने तक प्रतीक्षा पर जोर दिया। तब मुख्य दर रीपो को 6.25 प्रतिशत पर स्थिर रखा था। केंद्रीय बैंक ने जून में हुई बैठक के बाद जारी वक्तव्य में कहा था, ‘ ‘एमपीसी की तीसरी द्वैमासिक बैठक एक और दो अगस्त 2017 को होगी। बैठक में लिए गए निर्णय को दो अगस्त 2017 को दोपहर ढाई बजे वेबसाइट पर डाल दिया जाएगा।’

मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने खुदरा मुद्रस्फीति के आंकड़ों पर टिप्पणी करते हुए कहा था, ‘मुद्रास्फीति प्रक्रिया में आए गुणात्मक बदलाव को उन सभी ने नजरंदाज किया है जो मुद्रास्फीति के मामले में लगातार गलत अनुमान व्यक्त कर रहे हैं।’ इस मामले में संभवत: उनका इशारा रिजर्व बैंक की तरफ ही था।

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