हरियाणा सेंट्रल यूनिवर्सिटी में अब स्वामी विवेकानंद के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दूसरे सरसंघचालक गुरु गोलवलकर के बारे में भी पढ़ाया जाएगा। साथ ही विनायक दामोदर सावरकर, दीनदयाल उपाध्याय को भी राजनीतिक विचारक के तौर पर एमए राजनीतिक विज्ञान के सिलेबस में शामिल किया जा रहा है। स्नातकोत्तर पाठयक्रम में इन बदलावों को बोर्ड ऑफ स्टडीज की मंजूरी मिल गई है।
रवींद्र नाथ टैगोर, दयानंद सरस्वती, राममनोहर लोहिया, जय प्रकाश नारायण और आजार्य नरेंद्र देव को भी बोर्ड ऑफ स्टडीज ने पाठ्यक्रम में शामिल करने का फैसला किया है। यूनिवर्सिटी के वीसी प्रफेसर आर. सी. कुहाड़ के मुताबिक इस बदलाव के साथ ही हम एक नई शुरुआत करने जा रहे हैं। यूनिवर्सिटी के राजनीतिक विज्ञान के स्टूडेंट्स को को अब भारतीय परिदृश्य को समझने वाले राजनीतिक चिंतकों के जरिए इस विषय का ज्ञान मिल पाएगा।
यूनिवर्सिटी में स्कूल ऑफ सोशल साइंसेस के डीन और राजनीति विज्ञान के विभागाध्यक्ष प्रफेसर सतीश कुमार ने बताया कि स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में बदलावों को बोर्ड ऑफ स्टडीज की मंजूरी मिल गई है। अब इसे जल्द जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद लागू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि स्नातकोत्तर पाठयक्रम के अंतर्गत एक यूनिट के तौर पर हमारे शिक्षक स्टूडेंट्स को स्वामी विवेकानंद, माधव सदाशिवराव गोलवलकर (गुरु गोलवलकर), विनायक दामोदर सावरकर, दीन दयाल उपाध्याय और रवींद्र नाथ टैगौर जैसे चिंतकों के जरिए राजनीति विज्ञान से जुड़े उनके अहम विचारों से अवगत कराएंगे। उन्होंने कहा कि यह बदलाव मौजूदा पाठ्यक्रम में कहीं न कहीं भारतीय राजनीतिक चिंतन की कमी को देखते हुए किया गया है।
विभाग की ओर से पाठ्यक्रम में शामिल किए गए इन लोगों का राजनीतिक चिंतन दूसरे वर्ष में तीसरे और अंतिम सेमेस्टर में पढ़ाया जाएगा। इसमें बताया जाएगा कि इनकी ओर से भारतीय राजनीति के विभिन्न पहलुओं को किस तरह से परिभाषित किया गया और राजनीति विज्ञान के संबंध में उनकी सोच आज के परिदृश्य में किस तरह से उपयोगी है, साथ ही राष्ट्र निर्माण में किस तरह आज भी प्रासांगिक है।