कर चोरी करने वालों पर इनकम टैक्स विभाग अब इनोवेटिव तरीकों सेे शिकंजा कस रहा है. विभाग की नजर अब उनके क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, बैंक अकाउंट्स, ऑनलाइन ट्रांजैक्शन, टैक्स रिटर्न, ट्रेवल ट्रेंड, आवास के पते के साथ फोन रिकॉर्ड्स और सोशल मीडिया जैसी चीजों पर भी है. कुल मिलाकर 16 लेवल पर टैक्स चोरी करने वालों पर नजर रखी जा रही है. इन सबके जरिए टैक्सपेयर्स की सोशल और फाइनेंशियल प्रोफाइलिंग की जा रही है, ताकि उन पर एक्शन लेने लायक मामला बन सके. इस पूरी प्रक्रिया में सबसे अधिक धावा बेनामी प्रॉपर्टी पर बोलने की तैयारी है.
नोटबंदी के बाद लाखों हैं जांच के घेरे में
एक्सपर्ट का मानना है कि नोटबंदी के बाद लाखों लोग जांच के घेरे में आ गए हैं. बड़ी मात्रा में कैश डिपॉजिट करने वालों के मामले में अधिक सख्ती बरती जा रही है. नोटबंदी के बाद ऐसे लोगों को पकड़ना आसान हो गया है. विभाग कैश जमा करने वालों, उनकी आय, निवेश और खर्चों के बीच संबंध स्थापित कर रहे हैं.
फॉर्मल इकोनॉमी से मिल रही मदद
नोटबंदी के बाद इन्फॉर्मल इकोनॉमी का आकार छोटा और फॉर्मल इकोनॉमी का आकर बड़ा होता जा रहा है. ऐसा डिजिटल ट्रांजैक्शन बढ़ने से हो रहा है, जिसकी वजह से डाटा एनालिटिक्स भी आसान हो गया है. सरकार का भी फोकस टैक्स:जीडीपी रेशिओ बढ़ाने पर है, जो पूरे सिस्टम के लिए गेम चैंजर साबित हो सकता है.