प्राइवेट सेक्टर और सरकारी कंपनियों (PSU) के कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। सरकार ग्रैच्युटी के लिए समय-सीमा कम करने पर विचार कर रही है। प्रस्ताव पर सहमति बन गई तो एक साल बाद नौकरी छोड़ने वाला या निकाला जाने वाला कर्मचारी भी ग्रैच्युटी का हकदार होगा। अभी 5 साल की नौकरी पूरी करने पर ही कर्मचारी ग्रैच्युटी के योग्य होता है। श्रम मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, इससे संबंधित प्रस्ताव दूसरे मंत्रालयों को भेजा जा चुका है।
मंत्रालयों से जल्द ही हरी झंडी मिलने की उम्मीद है। पेमेंट ऑफ ग्रैच्युटी ऐक्ट में भी संशोधन जल्द ही होगा। भारतीय मजदूर संघ के महासचिव वीरेश उपाध्याय का कहना है कि हम कर्मचारियों के हित के हर प्रस्ताव का समर्थन करेंगे। बता दें कि इससे पहले सरकार ने सिफारिश की थी कि प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे लोगों को भी केंद्रीय कर्मचारियों की तरह ही अधिकतम 20 लाख रुपये तक ग्रैच्युटी मिले। कैबिनेट से प्रस्ताव पास होने के बाद अब इसे संसद में विधेयक के रूप में पेश किया जाना बाकी है।
श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में फैसला लिया गया था कि प्राइवेट सेक्टर में भी ग्रैच्युटी की सीमा को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख किया जाए। आपको बता दें कि सातवें वेतन आयोग ने ग्रैच्युटी की सीमा को दस लाख से बढ़ाकर बीस लाख करने की सिफारिश की थी। केंद्र सरकार के साथ-साथ कई राज्य सरकारें भी इसे लागू कर चुकी हैं।
केन्द्र ने यह फैसला किया है कि प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारियों की ग्रैच्युटी की राशि को दोगुना करते हुए सरकारी कर्मचारियों के बराबर किया जाए। कर्मचारी यूनियनों ने ग्रैच्युटी के भुगतान के लिये प्रतिष्ठान में कम-से-कम 10 कर्मचारियों के होने तथा न्यूनतम पांच साल की सेवा की शर्तों को हटाने की भी मांग की है।