स्वामी रामदेव को राहत देते हुए अदालत ने उस किताब के प्रकाशन और बिक्री पर रोक लगा दी है, जिसमें उनके जीवन से जुड़े तथ्यों को कथित रूप से अपमानजनक ढंग से पेश किया गया है। अडिशनल सीनियर सिविल जज निपुण अवस्थी ने स्वामी रामदेव की मांग मंजूर करते हुए जगरनॉट बुक्स पब्लिकेशन को ‘GODMAN TO TYCOON’ नाम की किताब के प्रकाशन और बिक्री पर रोक लगा दी है। इसके अलावा ऑनलाइन मार्केटिंग पोर्टल्स को भी यह किताब बेचने से रोक दिया है। अगर किसी ने इस आदेश के जारी होने से पहले ही इस किताब को खरीदने की पेशकश की है, तो उसे भी फिलहाल यह नहीं मिलेगी।
योगगुरु की ओर से ऐडवोकेट प्रमोद नागर ने किताब के पब्लिकेशन और बिक्री पर तुरंत रोक लगाए जाने की मांग करते हुए याचिका में कहा कि लेखिका प्रियंका पाठक नारायण ने विवादित किताब में योगगुरु के जीवन के बारे में जो तथ्य पेश किए हैं, वे सब झूठे हैं और रामदेव जैसे प्रतिष्ठित व्यक्ति के सम्मान को समाज में भारी नुकसान पहुंचाने वाले हैं। रामदेव का कहना है कि किताब में तथ्यों को इस तरह से पेश किया गया है जिससे पाठकों को लगेगा जैसे उन्होंने सफलता और प्रसिद्धि पाने के लिए आपराधिक हथकंडे अपनाए। उन्होंने दावा किया कि लेखिका ने इस तरह की बातें बिना किसी सबूत के कही हैं।
अदालत ने रामदेव की मांग मंजूर करते हुए अपने आदेश में कहा कि पहली नजर में देखने से साफ है कि विवादित किताब पढ़ने पर पाठकों को लगेगा जैसे रामदेव एक अपराधी किस्म के व्यक्ति थे जिन्होंने प्रसिद्धि, सफलता और पैसा पाने के लिए हर हद पार कर दी। ऐसी स्थिति में निश्चित रूप से याचिकाकर्ता की छवि को अपूर्णीय क्षति होगी। अदालत ने प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने से पहले ही रोक का आदेश देते हुए संबंधित पक्षों को 1 सितंबर के लिए समन किया है।