भोपाल गैस त्रासदी से पीड़ित लोगों के लिए बनाया गया एक मात्र सुपर स्पेशेलिटी हॉस्पिटल अब सिर्फ एक इमारत बनकर रह गया है. आधा दर्जन से ज्यादा विभाग बंद होने के बाद अचानक कैंसर का भी उपचार बंद कर दिया गया. इतना ही नहीं सोनोग्राफी कराने के लिए 4 महीने का इन्तजार करना पड़ता है. गैस पीड़ितों के लिए बनाया गया भोपाल मेमोरियल हेल्थ एंड रिसर्च सेंटर यानि कि बीएमएचआरसी खुद मरीज बन चुका है. डॉक्टरों के इंतजार में लंबे अरसे से खड़ा भोपाल मेमोरियल अब एक इमारत बनकर रह गया है.
अस्पताल के आधा दर्जन विभाग डॉक्टरों की कमी के चलते बंद करने पड़े. बीते हफ्ते कैंसर का इलाज बंद होने से मरीज़ों में अफरातफरी है. कैंसर स्पैशेलिस्ट डॉ विनय कुमार के इस्तीफे के बाद अचानक से डिपार्टमेंट बंद कर दिया गया. जिससे मरीज़ दर दर भटकने को मजबूर हैं.
मरीज़ों की मानें तो अस्पताल में कोई भी सुविधा ठीक से नहीं मिल रही. अस्पताल में दवाएं नहीं हैं. अगर है तो पूरी नहीं मिलती. प्राइवेट अस्पताल भेज दिया जाता है. सोनोग्राफी के लिएको 4-4 महीने की वेटिंग दी जा रही है, यानि कि 8 अगस्त को आने वाले मरीज़ को 19 नवंबर की तारीख मिल रही हैं.
सामाजिक संगठनों का कहना है कि बीएमएचआरसी को बेहतर करने के लिए सरकार में इच्छाशक्ति की कमी है. डॉक्टरों की कमी को दूर करके अगर सरकार चाहे तो बीएमएचआरसी की मुश्किलों का समाधान निकाला जा सकता है. अस्पताल प्रबंधन ने मामले में पूरी तरह चुप्पी साध रखी है. बीएमएचआरसी की डायरेक्टर प्रभा देसीकन पर पहले भी गंभीर आरोप लगते रहे हैं. प्रभा देसीकन पर ड्रग ट्रायल मामले में भी आरोप लगे थे.