Home राज्य आजादी का जश्न अपने तरीके से मनाएगी ममता सरकार

आजादी का जश्न अपने तरीके से मनाएगी ममता सरकार

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स्कूलों में स्वतंत्रता दिवस किस तरह से मनाया जाए इस बात को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार और केंद्र सरकार के बीच ठन गई है. पश्चिम बंगाल ने स्वतंत्रता दिवस समारोह को मनाने के बारे में केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय की सलाह को मानने से साफ इनकार कर दिया है. दरअसल, 25 जुलाई को मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से सभी राज्य सरकारों को एक पत्र भेजा गया था. जिसमें इस बात का ब्योरा दिया गया कि 70वें स्वतंत्रता दिवस को स्कूलों में धूमधाम से मनाने के लिए किस तरह की गतिविधि की जानी चाहिए.

इस पत्र में कहा गया है कि 8 अगस्त से लेकर 15 अगस्त के बीच स्कूलों में इस तरह के कार्यक्रम किए जाने चाहिए जिससे बच्चों में देशभक्ति की भावना जगे और उन्हें आजादी के आंदोलन के बारे में जानकारी मिले. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के ज्वाइंट सेक्रेटरी मनीष गर्ग की तरफ से भेजी गई इस चिट्ठी में कहा गया कि स्कूलों में आजादी के आंदोलन के बारे में क्विज प्रतियोगिता और पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाना चाहिए.

पत्र में ये भी कहा गया है कि स्कूल के बच्चों को देशभक्ति के नारों और पोस्टरों के साथ प्रभात फेरी निकाली चाहिए. देशभक्ति के गीत लिखने की प्रतियोगिता होनी चाहिए और स्कूलों में स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन से जुड़ी फिल्मों का प्रदर्शन किया जाना चाहिए.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय की चिट्ठी में यह भी कहा गया है कि स्कूल के बच्चों और शिक्षकों को स्वच्छ भारत के बारे में प्रण लेना चाहिए. स्कूलों में डांस ड्रामा और ऐसे सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जाने चाहिए जिससे देशभक्ति की भावना पैदा हो.

ममता सरकार का इनकार
पश्चिम बंगाल सरकार को शायद मानव संसाधन विकास मंत्रालय की इस सलाह में बीजेपी का छुपा हुआ एजेंडा नजर आ रहा है. इसीलिए राज्य के स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने पूरे राज्य में जिला प्रोजेक्ट अधिकारी को पत्र भेजकर कहा है कि स्कूलों में स्वतंत्रता दिवस मनाए जाने के बारे में केंद्र सरकार की सलाह को मानने की कोई जरूरत नहीं है.

पश्चिम बंगाल सरकार के इस तेवर से मानव संसाधन विकास मंत्रालय के लोग हैरान हैं. मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि पश्चिम बंगाल सरकार का रुख पहले भी कई मामलों अजीब रहा था. वहां के अधिकारी मंत्रालय की चिट्ठियों का जवाब तक नहीं देते और शिक्षा को लेकर कई बैठकों में भी हिस्सा नहीं लेते.

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