रिद्घि-सिद्घ के दाता गौरीपुत्र गणेश इस बार 12 दिन विराजेंगे। गणेशोत्सव के पर्वकाल में 7 दिन सर्वार्थसिद्घि और रवियोग का विशिष्ट संयोग रहेगा। ज्योतिष के अनुसार यह सात दिन नवीन वस्तुओं की खरीदी के लिए विशेष शुभ हैं। इसमें नवीन वाहन, इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, भूमि, भवन आदि की खरीदी की जा सकती है।
भादौ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर शुक्रवार को गणपति स्थापना होगी। भगवान गणेश स्वयं सिद्घ मुहूर्त हैं। इसलिए दिन भर में कभी भी स्थापना की जा सकती है। ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला के अनुसार इस दिन हस्त नक्षत्र व शनि का धनु राशि में मार्गीय होना दुर्लभ संयोग का निर्माण कर रहा है। ऐसे मुहूर्त में गणपति आराधना का पर्वकाल सुख, समृद्घि व ऐश्वर्य प्रदान करने वाला रहेगा।
तिथि की वृद्घि शुभफलदायी
पं.डब्बावाला के अनुसार गणेशोत्सव में तिथि की वृद्घि शुभफलदायी मानी गई है। इस दृष्टि से अलग-अलग मंत्र तथा स्तोत्र द्वारा प्रथम पूज्य की आराधना से कार्य में सिद्घि, पराक्रम में वृद्घि तथा मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। भक्त विशेष फल प्राप्ति के लिए श्री गणेश स्हस्त्रनाम स्तोत्र, गणेश स्तोत्र, संकटनाशक गणेश स्तोत्र, विघ्न विनाशक स्तोत्र, गणेश चालीसा का पाठ तथा गणेशजी के बीज मंत्र का जप कर सकते हैं।
सर्वार्थसिद्घि व रवियोग कब
-26 अगस्त को दोपहर 2.52 बजे से अगले दिन सुबह 6.30 तक सर्वार्थसिद्घि योग
-27 अगस्त सुबह से शाम 5.45 बजे तक रवियोग
-28 अगस्त रात्रि 8.11 बजे से अगले दिन सुबह 6.11 तक सर्वार्थसिद्घि योग
-31 अगस्त रात्रि काल में रवियोग
-02 सितंबर सूर्योदय से शाम 7.24 बजे तक रवियोग
-03 सितंबर सुबह 6.13 बजे से रात्रि 9.37 बजे तक सर्वार्थसिद्घि योग
-04 सिंतबर सुबह 6.11 से 11.20 तक सर्वार्थसिद्घि तथा इसके बाद दिनभर रवियोग
अभिजीत मुहूर्त खास
ज्योतिषियों के अनुसार अभिजीत मुहूर्त में भगवान गणेश के प्राकट्य की मान्यता है। इसलिए शुक्रवार को दोपहर 11.30 से 12.50 बजे तक गणपति स्थापना का विशेष शुभ मुहूर्त है। इसके अलावा चौघड़ियों के अनुसार भी गौरीपुत्र की स्थापना की जा सकती है।
कब-कौन सा चौघड़िया
-चर सुबह 6.11 से 7.42
-लाभ सुबह 7.42 से 9.12
-अमृत सुबह 9.12 से 10.42
-दोपहर 12.50 से शुभ का चौघड़िया