मध्य प्रदेश के रतलाम में कलेक्टर बी. चंद्रशेखर के तबादले के बाद बहुचर्चित राशन महाघोटाला अब फाइलों में दब गया है. ये वही बहुचर्चित महाघोटाला है जिसमे हर माह एक करोड़ रूपए का अनाज, राशन माफिया खा रहे थे, और सरकार को कई सालों से करोड़ों रूपए का चूना लगा रहे थे.
इस बहुचर्चित घोटाले का खुलासा तत्कालीन कलेक्टर बी. चंद्रशेखर ने इसी साल मई महीने में किया था. जिसमे शहर की सभी 63 दुकानों की जांच के बाद 22 हजार फर्जी परिवारों के नाम सामने आए थे जो राशन ले रहे थे. जिसके बाद कलेक्टर ने जिले की सभी राशन दुकानों की जांच के आदेश जारी किये थे लेकिन जांच तो दूर, अधिकारी इस महा घोटाले को दबाने में लगे हैं. आलम ये है इस फर्जीवाड़े में अब तक महज एक एफआईआर दर्ज हुई है, जबकि दोषी अफसर और असली गुनहगार अब भी कार्रवाई से कोसो दूर हैं.
कलेक्टर ने साफ कहा था की दोषियों पर गबन के मामले दर्ज कर उनसे वसूली की जाएगी. दोषियों में नगर निगम के एंट्री ऑपरेटर से, लेकर खाद विभाग के वेरिफिकेशन करने वाले अधिकारी भी शामिल है, लेकिन जांच के कहीं पते नहीं हैं.
दरअसल नगर निगम से बनाई जाने वाली मजदूर डायरियों में फर्जी नामों की एंट्री कर राशन माफिया ने इस महाघोटाले को अंजाम दिया है. जनसुनवाई में शिकायतें मिलने के बाद कलेक्टर ने खुद एसपी के साथ मिलकर गांधी नगर की राशन दुकान पर छापामार कार्रवाई की थी. गड़बड़ियां मिलने पर कलेक्टर ने शहर की सभी 63 दुकानों की जांच के आदेश दिए थे. लेकिन ये जांच अब सपना बन कर रह गई है. कलेक्टर बी. चंद्रशेखर के ट्रांसफर के बाद अब ये पूरा घोटाला ठन्डे बास्ते में चला गया है. और नए अधिकारी इसमें कार्रवाई से बच रहे हैं.