सरदार सरोवर बांध के लोकार्पण को लेकर नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेत्री मेधा पाटकर ने फिर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार की सारी व्यवस्थाएं अनियमितताओं की भेंट चढ़ गई हैं और अब तक पुनर्वास व मुआवजे का काम भी पूरा नहीं हुआ है। ऐसे में बांध का लोकार्पण उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम का विरोध किया जाएगा और बांध का भराव 121 मीटर से ज्यादा होता है, तो ‘जल हत्या” करेंगे। बांध का लोकार्पण 17 सितंबर को होना है।
राजधानी में बुधवार को मीडिया से चर्चा में मेधा ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वास्तव में किसानों के हितैषी हैं तो बांध के लोकार्पण कार्यक्रम में न जाएं। बल्कि शत-प्रतिशत मुआवजे की मांग करें। मेधा ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने जन्मदिन का जश्न मनाने आ रहे हैं। हमें ये जश्न-ए-मौत मंजूर नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार बांध के लोकार्पण का जश्न मनाती है तो ये विस्थापितों के साथ बेमानी होगी। मेधा ने सरकार के राजपत्र और डूब प्रभावितों की सूचियों को भी झूठा बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि 40 हजार परिवार अब भी डूब क्षेत्र में रह रहे हैं और पुनर्वासस्थल पर पानी सहित अन्य मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं। ऐसे में बांध को पूरा नहीं माना जा सकता है। उन्होंने कहा कि शासकों को जनता की परवाह ही नहीं है।
किसानों की नहीं उद्योगपतियों की चिंता
मेधा ने आरोप लगाया है कि सरकार को मध्य प्रदेश और गुजरात के किसानों की चिंता नहीं है। चिंता है तो गुजरात के उन उद्योगपतियों की है, जिनके उद्योग नर्मदा के डेढ़ सौ किमी के दायरे में लगे हैं। उन्होंने कहा कि बांध प्रभावितों के साथ सरकार हत्यारे की तरह पेश आ रही है। अभी बहुत कुछ बाकी है। केंद्रीय मंत्री उमा भारती को लेकर मेधा ने कहा कि वे गंगा तक ही सीमित रहीं। नर्मदा के बारे में उन्होंने मीठा संवाद किया, गहरा नहीं। अब नितिन गड़करी क्या करेंगे, ये देखा जाएगा।
विपक्षी दल कर रहे समर्थन
कांग्रेस के प्रवक्ता रवि सक्सेना ने नर्मदा बचाओ आंदोलन का समर्थन करते हुए कहा कि नर्मदा के नाम पर मुख्यमंत्री भावनाओं से खेल रहे हैं। वे सिर्फ मोदी को खुश करने व गुजरात चुनाव के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुनर्वास काम पूरा होने तक हम लड़ेंगे। आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष आलोक अग्रवाल ने कहा कि नर्मदा सेवा यात्रा में लगाई राशि पुनर्वास में लगाई होती तो स्थिति कुछ और होती।
उधर, कम्युनिस्ट नेता बादल सरोज ने मेधा को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है। उन्होंने पत्रकार गौरी लंकेश का उदाहरण देते हुए कहा कि जिसने ऐसी ताकतों से सामना किया, उनका हश्र देख लिया है। उनका आरोप है कि बांध का निर्माण और पानी का इंतजाम उद्योगपतियों के लिए किया जा रहा है।