भारतीय चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि गुजरात के राज्यसभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल न करने को लेकर दायर की गई याचिका खारिज किया जाए। इसका कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि 2014 में नोटा के इस्तेमाल की प्रक्रिया शुरू की गई थी। उसके बाद से देश भर में राज्यसभा के चुनाव कराए जा चुके हैं, लेकिन तब किसी ने आपत्ति नहीं जताई। आयोग ने यह भी कहा कि राज्यसभा चुनाव को लेकर किसी को कोई आपत्ति है तो उसे चुनाव याचिका दायर करनी चाहिए। जस्टिस दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला किया कि याचिका पर सुनवाई चार सप्ताह बाद की जाएगी।
गुजरात विधानसभा में कांग्रेस के चीफ व्हिप शैलेष मनुभाई परमार ने यह याचिका दायर की थी। उनका कहना था कि गुजरात के राज्यसभा चुनाव में नोटा के इस्तेमाल पर रोक लगाई जाए। अदालत ने तब ऐसा करने से मना कर दिया था, लेकिन तीन अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला लिया था कि नोटा की संवैधानिक वैधता पर चर्चा करने की जरूरत है। चुनाव आयोग से इस पर जवाब मांगा गया था।
उल्लेखनीय है कि गुजरात के राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस व भाजपा के बीच सिर फुटौव्वल की नौबत तक आ गई थी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने नामांकन दाखिल किया था। भाजपा उन्हें किसी भी सूरत में जीतने न देने पर आमादा थी, लेकिन कांटे की लड़ाई में पटेल चुनाव जीते और भाजपा को झटका दे दिया।