मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों की समस्याएं यथावत रहने के आरोप को गंभीरता से लिया। इसी के साथ राज्य शासन को 6 नवंबर तक हर हाल में जमीनी हकीकत से जुड़ा जवाब प्रस्तुत करने निर्देश दे दिए गए।
बुधवार को मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता व जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान जनहित याचिकाकर्ता भोपाल गैस पीड़ित महिला संगठन सहित अन्य की ओर से पक्ष रखा गया।
अधिवक्ता राजेश चंद ने दलील दी कि भोपाल गैस त्रासदी पीड़ितों की कई मूलभूत समस्यांए अब तक दूर नहीं हो सकी हैं। उन्हें समुचित उपचार न मिलना बेहद चिंताजनक है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि अवहेलना के चलते सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जारी मॉनीटरिंग की प्रासंगिकता पर प्रश्नचिन्ह लग रहा है।
इसीलिए अलग से अंतरिम आवेदन के जरिए तथ्यात्मक तरीके से समस्याओं को रेखांकित किया गया है। हाईकोर्ट ने अंतरिम आवेदन पर गौर करने के बाद नए सिरे से जवाब मांग लिया। इस जवाब में मॉनीटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं और उसकी तरफ से रेखांकित कमियों के संदर्भ में भी जानकारी शामिल करनी होगी।