एलफिन्सटन रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार सुबह मची भगदड़ में 22 लोगों की मौत हो गई पर मुंबई के ही कई रेलवे स्टेशन ऐसे हैं जहां हर रोज ऐसे हालात पैदा होते हैं। यात्री ही नहीं रेलवे के कर्मचारी भी कहते हैं कि ‘चमत्कार’ ही है कि हमारी जान बच जाती है। इसे एक खतरनाक संयोग ही कहा जाएगा कि जिस समय एलफिन्सटन स्टेशन पर भगदड़ मची, ठीक उसी समय उसी तरह की घटना के हालात चिंचपोकली स्टेशन पर भी बन गए थे। अधिकारियों का कहना है कि हर रोज ‘चमत्कार’ से ही हम सब की जान बचती है, खासतौर से गणेशोत्सव के दौरान जब लालबाग के पास पंडालों में लाखों की तादाद में लोग पहुंचते हैं।
क्षेत्रफल के हिसाब से चिंचपोकली मुंबई के सबसे छोटे स्टेशनों में से एक है लेकिन यहां यात्रियों की तादाद में लगातार इजाफा हुआ है। यह पारेल से दो स्टेशन दूर है। चिंचपोकली में एक रेलवे अधिकारी ने कहा, ‘शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे तेज बारिश शुरू हुई, जिसके कारण यात्रियों एवं आसपास के लोग टिकट काउंटर के पास छोटी सी जगह में भर गए। प्लेटफॉर्म पर ढलान की तरफ भी लोग खड़े हो गए। यह पूरा क्षेत्र 150200 वर्ग फीट है। लोग परेशान हो रहे थे क्योंकि ट्रेनें लगातार आ रही थीं और वे फंसे हुए थे। हमें सूचना मिली तो फौरन जीआरपी और आरपीएफ के जवानों को मौके पर भेजा गया। वे तेजी से स्टेशन पर पहुंचे और सीटियां बजाकर व हवा में डंडे लहराकर शांति कायम करने की कोशिश की।’
बताया जा रहा है कि स्टेशन काफी खतरनाक है क्योंकि यहां प्लेटफॉर्म पर जाने के लिए एक भी सीढ़ी नहीं है। ढलान पर एक तरफ भिखारी रहते हैं और बची जगह ही आने-जाने का रास्ता है। ऐसे में थोड़ी भी गलतफहमी हुई या धक्का लगा तो लोग एक दूसरे पर गिर सकते हैं। स्टाफ के सदस्य ने कहा, ‘हमारे पास पूर्णकालिक स्टेशन मास्टर भी नहीं है। यहां केवल एक क्लर्क है और उसकी गैरमौजूदगी में टिकट विंडो पर बैठा कर्मचारी ही इंचार्ज होता है। अगर कोई हादसा होता है तो उसे काउंटर बंद करना पडे़गा और घटनास्थल की ओर भागना पड़ेगा। वही ऐम्बुलेंस, आरपीएफ या जीआरपी को बुलाएगा।’
स्टाफ मेंबर ने कहा, ‘कल्पना कीजिए कि यात्री कितने नाराज हो जाएंगे अगर हादसे के पीड़ितों की मदद के लिए कोई न पहुंचे या जब टिकट बुकिंग काउंटर ही बंद हो जाए। उनके गुस्से का खमियाजा हमें भुगतना पड़ता है।’ एक अन्य स्टाफर ने कहा कि ऐसा नहीं है कि अधिकारियों को समस्या की जानकारी नही है। लंबे समय से वे इसे दुरुस्त करने का वादा कर रहे हैं। यब कब होगा, कोई अनुमान ही लगा सकता है।
बताया जा रहा है कि गणेशोत्सव से कुछ दिन पहले रेलवे के कोचिंग डिपार्टमेंट की एक वरिष्ठ महिला अधिकारी ने चिंचपोकली का सर्वे किया था। इसमें क्या किया गया, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई। रेलवे कर्मियों का कहना है कि टुकडे़-टुकड़े में मरम्मत नहीं पूरे स्टेशन को दोबारा से बनवाया जाना चाहिए। स्टेशन इंचार्ज ऑफिस भी काफी छोटा और अंग्रेजों के जमाने का है। इसमें कोई सुविधाएं नहीं हैं। एक अधिकारी ने कहा कि हम हर बार गणेशोत्सव के समय अंगुली पर गिनती करते रहते हैं। लालबागचा राजा समेत तीन बड़े पांडाल पास में ही हैं, जहां पर लाखों लोग चिंचपोकली से ही होकर पहुंचते हैं। केन्द्रीय नेताओं और रेलवे प्रशासन की ओर से भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।