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महिलाओं को आतंकी हमलों के लिए तैयार कर रहा इस्लामिक स्टेट

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लंदन

इराक और सीरिया में अपने गढ़ में भी कमजोर पड़ रहे खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ने अपने वजूद को बचाने के लिए महिलाओं का सहारा लेना शुरू कर दिया है। आईएस ने महिलाओं से हथियार उठाने को कहा है, जो पूरी दुनिया के लिए चिंता का सबब हो सकता है। अरबी भाषा में प्रकाशित होने वाले अपने अखबार के नए संस्करण में आतंकी संगठन ने महिला समर्थकों से अपील करते हुए कहा है कि यह उनका कर्तव्य है कि वे भी जिहाद में हिस्सा लें।

द इंडिपेंडेंट की रिपोर्ट के मुताबिक लेख में कहा गया, ‘इस्लामिक स्टेट के खिलाफ छिड़ी जंग को देखते हुए मुस्लिम महिलाओं के लिए यह जरूरी हो गया है कि वह मुजाहिदीनों की मदद करने के साथ ही सभी मोर्चों पर अपना कर्तव्य पूरा करें।’ यही नहीं महिलाओं से अपील की गई है कि वे अल्लाह के आदेश पर अपने आप को इस्लाम की राह में समर्पित करने के लिए तैयार रहें। इस लेख में पैगंबर मोहम्मद का उदाहरण देते हुए महिलाओं के जंग में आने को सही ठहराया है और कहा है कि इस्लाम के स्वर्ण काल में भी महिलाओं ने यह भूमिका अदा की थी।

इससे पहले इस्लामिक स्टेट महिलाओं के जंग लड़ने पर रोक लगा रखी थी। हालांकि उन्हें आतंकवादियों से शादी करने, प्रॉपेगेंडा फैलाने और बच्चों में कट्टरता पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता था। इंटरनैशनल सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ रैडिकलाइजेशन ऐंड पॉलिटिकल वॉइलेंस के सीनियर रिसर्च फेलो शीर्ली विंटर ने कहा कि इन प्रॉपेगेंडा बयानों से बता चलता है कि इस्लामिक स्टेट अब क्या खतरनाक रणनीति तैयार कर रहा है।

इंडिपेंडेंट से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘इसके कई प्रभाव होंगे। सबसे बड़ी बात यह कि इससे काउंटर-टेररिज्म पर असर पड़ेगा। इसके अलावा सीरिया और इराक में आतंकवाद के खिलाफ जारी जंग भी प्रभावित होगी।’ विंटर ने कहा कि यह अप्रत्याशित जरूर है, लेकिन इससे पता चलता है कि वह अपने बारे में क्या सोच रहा है

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