नई दिल्ली
पीएम मोदी की समानांतर नौकरशाही खड़ी करने की योजना ने अचानक तेज गति पकड़ ली है। मंत्रालयों के अहम पदों पर अधिकारियों की बजाय एक्सपर्ट्स की नियुक्तियां शुरू हो गई हैं। बुधवार देर रात केंद्र सरकार ने राजेश कोटेचा को आयुष मंत्रालय में स्पेशल सेक्रटरी के रूप में नियुक्त किया। यह पहली नियुक्ति थी जब किसी मिनिस्ट्री में सेक्रटरी पद पर आईएएस अधिकारी नहीं बैठाया गया, बल्कि उस क्षेत्र से जुड़े किसी एक्सपर्ट को जिम्मा सौंपा गया। राजेश कोटेचा जामनगर स्थित के गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर रहे हैं। इससे पहले 25 सितंबर को पीएम मोदी ने अपनी आर्थिक सलाहकार परिषद का गठन किया था। यह भी एक्सपर्ट की समानांतर टीम बनाने की पहल का हिस्सा था।
सूत्रों के अनुसार नौकरशाही में लैटरल एंट्री पर पीएम मोदी अब तेजी से कदम बढ़ाएंगे। मंत्रियों के समूह ने लैटरल एंट्री से जुड़े मसले के सभी पहलुओं को समेटते हुए अपनी रिपोर्ट दी थी। इस रिपोर्ट में सरकार के अंदर नीतिगत फैसले वाले पदों पर विशेषज्ञों की नियुक्ति को सहमति दी गई। इसके बाद पीएमओ ने कैबिनेट सेक्रटरी को अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों की लिस्ट बनाने को कहा है जो सरकार के साथ जुड़ सकते हैं। सूत्रों के अनुसार केंद्र शुरू में मशविरा लेने के स्तर पर इन लोगों की सेवा ले सकती है। रेलवे, वित्त, डिफेंस और हेल्थ ऐसे सेक्टर हैं, जहां सरकार को एक्सपर्ट की तलाश सबसे ज्यादा है। इसके अलावा पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजना ‘न्यू इंडिया 2022’ के विजन के लिए भी बनने वाली टीम में भी एक्सपर्ट्स को जगह दी जा सकती है। हालांकि सरकार की इस पहल को लेकर संदेह भी है। कुछ सीनियर अधिकारियों ने कहा कि लैटरल एंट्री के मानक पूरी तरह साफ नहीं किए गए तो इसका दुरुपयोग भी हो सकता है।
अधिकारियों को भी विशेषज्ञता के हिसाब से पोस्टिंग
सरकार में अहम मंत्रालयों में सीनियर पदों पर नियुक्ति से पहले संबंधित अधिकारी का इंटरव्यू लिया जा सकता है। सरकार की मंशा है कि अधिकारियों को भी अपनी विशेषज्ञता के हिसाब से पोस्टिंग मिलनी चाहिए। अभी जो सिस्टम है उसमें टैलंट और विशेषज्ञता को लेकर कोई पैमाना नहीं होता है। ऐसा सुझाव सरकार को एक संसदीय समिति ने दिया था। सूत्रों के अनुसार सरकार ने इस प्रस्ताव को मानने का फैसला लिया है। जल्द ही मामले में एक समिति बनाई जा सकती है, जो इसे अमल में लाने के तरीकों पर बात करेगी। इसके लिए उन तमाम मंत्रालयों की पहचान होगी, जहां नियुक्ति के लिए विशेषज्ञता को तरजीह दी जाएगी।