पैरिस
हर साल करीब 2.5 करोड़ लोग भीषण दर्द की वजह से मर जा रहे हैं। मरने वाले हर 10 लोगों में एक बच्चा शामिल है। अगर मॉरफीन की जरूरत भर की ही डोज मिल जाती तो इतने लोगों की मौत रोकी जा सकती है। शुक्रवार को शोधकर्ताओं ने एक रिसर्च में ये बात कही है।
लॉन्सेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट में ‘ग्लोबल पेन क्राइसिस’ की ओर संकेत किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक यह आंकड़ा विश्व भर में होने वाली मौतों का तकरीबन आधा है। रिसर्च टीम ने अपनी स्टडी में पाया है कि मध्यम और कम आय वाले देशों में लोगों को दर्द से निजात पाने के लिए मॉरफीन नहीं मिल पा रही है।
दुनियाभर में 299 टन मॉरफीन के वितरण में इन देशों को मिलने वाली हिस्सेदारी चार फीसदी से भी कम है। इसके उलट दुनिया के अमीर देशों में ऑपियोड आधारित दर्द निवारकों का दुरुपयोग हो रहा है। दर्द निवारकों का दुरुपयोग करने में टॉप पर अमेरिका है। इस स्टडी के सह लेखक मियामी यूनिवर्सिटी के जुलियो फ्रेंक का कहना है कि एक तरफ गरीब देशों को सस्ता दर्द निवारक नहीं मिल रहा है, वहीं अमीर देश इनका दुरुपयोग कर रहे हैं।