Home विदेश ईरान पर भिड़ीं महाशक्तियां, सख्ती दिखा अकेले पड़े ट्रंप

ईरान पर भिड़ीं महाशक्तियां, सख्ती दिखा अकेले पड़े ट्रंप

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वॉशिंगटन

ईरान के खिलाफ सख्त कदम दिखाते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने 2015 के ईरान परमाणु समझौते को बड़ा झटका दिया है। ट्रंप ने इस समझौते को प्रमाणित नहीं करते हुए इसे कांग्रेस के पास भेज दिया है। हालांकि ट्रंप ने परमाणु समझौते को खत्म नहीं किया है लेकिन मित्र देशों समेत रूस ने अमेरिका के इस कदम का विरोध किया है। फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी ने अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह एकतरफा इस डील को खत्म नहीं कर सकते। वहीं रूस ने इसे ‘आक्रामक और धमकीपूर्ण बयानबाजी’ बता अमेरिका की आलोचना की है।

उधर, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने भी ट्रंप पर निशाना साधते हुए कहा है कि अमेरिका समझौते का विरोध कर अकेला पड़ गया है। परमाणु समझौते को लेकर ट्रंप के नए कदम के बाद रूहानी ने अपने बयान में कहा कि ट्रंप ने आज जो कहा वह निराधार आरोपों की पुनरावृत्ति ही था। जाहिर तौर पर ईरान के मसले को लेकर विश्व महाशक्तियों के बीच अमेरिका अकेला पड़ता दिख रहा है। ट्रंप के इस कदम का फिलहाल इजरायल और गल्फ देश ही समर्थन करते दिख रहे हैं।

ट्रंप ने शुक्रवार को वाइट हाउस में दिए गए अपने बयान में ईरान न्यूक्लियर अग्रीमेंट को प्रमाणित करने से इनकार कर दिया। ट्रंप ने ईरान को ‘धर्मांध शासन’ बताते हुए उसे वैश्विक स्तर पर आतंक और विध्वंस फैलाने का दोषी बताया। ट्रंप ने परमाणु समझौते को तोड़ने की भी धमकी दी। ट्रंप ने अब इस समझौते को कांग्रेस के पाले में डाल दिया है।

ईरान न्यूक्लियर अग्रीमेंट के प्रावधानों के तहत अमेरिकी राष्ट्रपति हर 90 दिन पर कांग्रेस को यह प्रमाणित करते हैं कि ईरान समझौते का पालन कर रहा है। ट्रंप ने इस बार इसे प्रमाणित नहीं किया है, जिससे अब कांग्रेस के पास यह तय करने के लिए 60 दिन हैं कि इस परमाणु समझौते से अलग होकर ईरान पर प्रतिबंध लगाए जाएं या नहीं। ट्रंप ने चेतावनी भी दी है कि अगर कांग्रेस और सहयोगियों की मदद से कोई रास्ता नहीं निकलता है तो यह समझौता समाप्त हो जाएगा।

ट्रंप के इस सख्त कदम का अमेरिका के मित्र देश ही विरोध करने लगे हैं। फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी के नेताओं ने साझा बयान जारी कर कहा है कि ट्रंप इस डील पर एकतरफा फैसला नहीं ले सकते। सबसे अधिक तल्ख टिप्पणी रूस की तरफ से आई है। रूस के विदेश मंत्रालय ने ट्रंप के इस फैसले की आलोचना की है। मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि आक्रामक और धमकीपूर्ण बयानबाजी स्वीकार नहीं की जा सकती। रूस ने कहा है कि ऐसे फैसलों से समस्या का हल नहीं होगा।

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