लंदन
आपको जानकर शायद ताज्जुब हो कि इंसान की जब मौत होती है तो उसे इस बात का अहसास होता है कि वह मर चुका है। वैज्ञानिकों का दावा है कि जब शरीर में कोई हलचल नहीं रह जाती तब भी इंसान का दिमाग काम करते रहता है। इतना ही नहीं, डॉक्टर द्वारा अपनी मौत की घोषणा को भी इंसान सुनते रहता है। अंतिम समय के हालात को लेकर पहले भी कई अध्ययन हुए हैं और मौत के अनुभव की वास्तविकता का मुद्दा हमेशा से बहस का विषय रहा है। अब नई स्टडी में यह बेहद रोचक जानकारी सामने आई है।
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि शरीर में जीवन के संकेत मिलना बंद होने के बाद भी व्यक्ति की चेतना जागृत रहती है। उसे अपनी मौत का पूरा अहसास होता रहता है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस बात के साक्ष्य मिले हैं कि मरने वाला शख्स डॉक्टरों के द्वारा अपनी मौत की घोषणा किए जाने की पूरी बात भी सुनता है।
इसी तरह की कहानी पर 90 के दशक की एक हॉलिवुड फिल्म की री-मेक फिल्म Flatliners इसी साल आई है। फिल्म में युवा डॉक्टरों का समूह एक खतरनाक प्रयोग करता है, जिसमें रासायनिक रूप से हार्ट को रोका जाता है और मौत के बाद क्या होता है, यह जानने की कोशिश की जाती है। फिल्म में ऐलन पेज मुख्य भूमिका में हैं।
न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी लैंगोनी स्कूल ऑफ मेडिसिन की टीम ने भी यूरोप और अमेरिका में दो अध्ययनों के माध्यम से इसी सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की। जिन लोगों पर यह प्रयोग किया गया उन्हें दिल का दौरा पड़ा था और बाद में वे ‘जीवित’ बच गए। यह अपनी तरह की सबसे बड़ी स्टडी है।
स्टडी के लेखक डॉ. सैम पर्निया ने ‘लाइव साइंस’ को बताया, ‘उन्होंने डॉक्टरों और नर्सों को काम करते देखने की बात कही। उन्होंने बताया कि वे पूरी बातचीत को सुन और दृश्य को देख रहे थे।’ डॉ. सैम ने कहा कि इस चीज को मेडिकल और नर्सिंग स्टाफ से सत्यापित कराया गया, जिन्होंने अपने मरीज को तकनीकी तौर पर मृत घोषित कर दिया था। जांच में पूरी बात सच पाई गई।
गौरतलब है कि मेडिकल के हिसाब से डॉक्टर मरीज को तब मृत घोषित करते हैं जब हार्ट धड़कना बंद कर देता है। इससे ब्रेन में ब्लड सप्लाई बंद हो जाती है। इस पर डॉ. सैम कहते हैं, ‘तकनीकी रूप से व्यक्ति को मौत के लिए कितना समय मिलेगा, यह उस पल पर निर्भर करता है जब दिल धड़कना बंद करता है। इससे ब्रेन में खून की आपूर्ति रुक जाती है।’
सैम ने आगे कहा कि इसके बाद सोचने और सूचना को समझने के लिए जरूरी सेंस डेड हो जाते हैं। इसका मतलब 2 से 20 सेकंड तक इलेक्ट्रिक मीटर पर कोई भी ब्रेनवेव्स डिटेक्ट नहीं होती है। उन्होंने बताया, ‘ऐसे में ब्रेन सेल्स की डेथ होने लगती है। हालांकि हार्ट के रुकने के बाद भी इसमें घंटों लग सकते हैं।’