नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व को अलग पहचान उनके भाषण देने की कला भी देते हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद से हर महीने उन्होंने औसतन 19 भाषण दिए हैं। 26 मई 2014 को पीएम पद की शपथ लेने के बाद से प्रधानमंत्री हर 3 दिन में लगभग 2 स्पीच देते हैं। जनता से संवाद करने की कला, त्वरित भाषण दे सकने की क्षमता पीएम की लोकप्रियता के कारण हैं। पीएम बनने के बाद से अभी तक मोदी ने 775 सार्वजनिक सभाएं की हैं और भाषण दिए।
इकनॉमिक टाइम्स ने मोदी के निजी वेबसाइट, पीआईबी के आंकड़ों और कई सीनियर मंत्रियों से पीएम मोदी के भाषण देने की क्षमता पर बात की। सभी आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि पीएम हर महीने औसतन 19 भाषण देते हैं और उनके ज्यादातर भाषण 30 मिनट से अधिक के होते हैं। राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह का इस बारे में कहना है, ‘पीएम मोदी के पास भाषण देने की अच्छी कला है। किसी भी मुद्दे पर वह दिल से बोलते हैं। ज्ञान और बात को बेहतर तरीके से लोगों के सामने रख सकने की कला उन्हें भगवान से मिला उपहार है।’
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने 10 साल के कार्यकाल में 1401 भाषण दिए। इसका मतलब है कि हर महीने उन्होंने 11 भाषण दिए। अभी पीएम मोदी का 5 साल का कार्यकाल खत्म भी नहीं हुआ और वह पूर्व पीएम से ज्यादा सार्वजनिक भाषण दे चुके हैं। हमारे सहयोगी अखबार इकनॉमिक टाइम्स के पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के बतौर प्रधानमंत्री रहते हुए किसी चुनावी भाषण देने के तथ्य नहीं हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के धुआंधार भाषण देने से कांग्रेस के नेता कुछ ज्यादा प्रभावित नहीं हैं। कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी का कहना है, ‘प्रधानमंत्री मोदी के साथ सबसे बड़ी परेशानी है कि उन्हें ऐसा लगता है कि उनके भाषण ही उनकी सरकार चलाने की क्षमता का प्रमाण है। कोई अचरज की बात नहीं है कि पीएम मोदी का पूरा ध्यान अपने भाषण कला पर है न कि अपनी सरकार चलाने पर। देश रसातल में जा रहा है लेकिन उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।’
पीएम मोदी के भाषणों का विश्लेषण करने पर पता तला कि पीएम मने ज्यादातर भाषण 2015 में दिए। 2015 में उन्होंने 264 भाषण दिए। बता दें कि यही साल था जब पीएम ने काफी विदेश दौरे भी किए और इसी साल उन्होंने विदेशों में सार्वजनिक भाषण दिए। बतौर प्रधानमंत्री पीएम मोदी ने 164 भाषण विदेशों में दिए हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘प्रधानमंत्री मोदी अपने विचार और अजेंडे को खुलकर रखने में विश्वास करते हैं। जरूरत पड़ने पर वह हर रोज या 2-3 दिन में एक बार सार्वजनिक रैलियां करते हैं।’