मोहब्बत की निशानी ‘ताजमहल’ का निर्माण 22 हजार लोगों ने 22 साल मेें किया था. इस दौरान एक हजार से अधिक हाथी दिन-रात बिल्डिंग मटीरियल्स की ढुलाई करते थे. निर्माण में 18 तरह के कीमती पत्थरों का उपयोग हुआ है. तभी तो इसकी खूबसूरती 366 साल बाद भी जस की तस बनी हुई है और इसके दीदार के बाद जुबां पर पहला शब्द आता है- ‘वाह ताज’. ऐसे में जेहन में यह सवाल कौंधना लाजिमी है कि आज अगर कोई शाहजहां अपनी बेगम की याद में इसका निर्माण कराए तो इस पर कितना खर्च आएगा?
निर्माण पर क्या हुआ था खर्च?
मुगल वास्तुकला का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण ताजमहज 1653 में बनकर तैयार हुआ था. एक आंकलन के अनुसार, उस समय इसकी लागत लगभग 32 लाख रुपये आई थी, जो अभी अनुमानित रूप से 52800 करोड़ रुपये के बराबर है. ताजमहल पर पारसी और इस्लामिक कला का अच्छा-खासा असर है. बेहतरीन कलाकारी के लिए 1983 में इसे यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज स्थल के रूप में मान्यता दी गई.
आज कितना होगा खर्च?
ऐतिहासिक धरोहरों और इमारतों की वैल्यू तय करने का वैसे तो कोई तय स्टैंडर्ड नहीं है. हालांकि, इन्फ्लेशन एडजस्टेड वैल्यू को ध्यान में रखते हुए माना जाता है कि अगर इस समय इसका निर्माण किया जाए, तो इसके लिए किसी शाहजहां को लगभग 7 हजार करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे.
क्या है वैल्यूएशन इसका?
आज की तारीख में इसका अनुमानित वैल्यूशन लगभग 65000 करोड़ रुपए है, लेकिन ताजमहल से हर साल लगभग 20 करोड़ रुपये आते हैं और इस रेवेन्यू में हर साल लगभग 10 फीसदी की ग्रोथ होती है. अगर मान लें कि ताजमहल अगले 300 वर्षों तक चलेगा और इससे आने वाले रेवेन्यू में भी लगभग 10 फीसदी की ग्रोथ होगी तो इस तरह इसका वैल्यूएशन आने वाले सालों में कई लाख करोड़ रुपये के पार जा सकता है.
मोनालिसा पेंटिंग की वैल्यू 5 हजार करोड़ रुपए
कला की परख रखने वालों का कहना है कि जिस इमारत से इतिहास, कला और संस्कृति की एक पूरी धारा गुजरती हो, पैसे में उसका वैल्यूएशन करना संभव नहीं है. उदाहरण के लिए, लिओनार्डो द विंसी को अपनी कालजयी पेंटिंग ‘मोनालिसा’ के क्रिएशन में बेशुमार कल्पना और रचनात्मक चिंतन के अलावा शायद काफी कम पैसे खर्च करने पड़े होंगे. लेकिन आज इस पेंटिंग की वैल्यू 5 हजार करोड़ रुपए से भी अधिक है. ऐसे में ताजमहल का वैल्यूएशन तो इससे कई सौ गुना अधिक होगा.
कितने टूरिस्ट आते हैं ताजमहल देखने?
ताजमहल देखने दुनिया के हर हिस्से से लोग आते हैं. सभी की हसरत मोहब्बत की इस जीती-जागती प्रतिमा को देखने की रहती है. 2012 में यहां 7.43 लाख, 2013 में 6.95 और 2014 में 6.48 लाख फॉरेन टूरिस्ट आए थे. बाकी देसी टूरिस्ट तो भारी संख्या में यहां आते हैं.
ताज महल देखने की फीस
एएसआई ने ताजमहल देखने की फीस बढ़ा दी है. फॉरेन टूरिस्ट के लिए इसे बढ़ाकर 750 रुपये से 1000 रुपये कर दिया गया है. घरेलू पर्यटकों के लिए भी फीस को 20 रुपये से बढ़ाकर 40 रुपये कर दिया गया है.
शाहजहां ने क्यों बनाया ताजमहज?
दुनिया के सात अजूबों में एक ताज महल का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेइंतहा खूबसूरत बेगम मुमताज की याद में बनाया था. ताज महल के जरिए शाहजहां ने मुमताज के प्रति अपनी मोहब्बत को अमरता देने का काम किया. 1631 में अपने 14वें बच्चे को जन्म देते समय मुमताज की मौत हो गई थी. शाहजहां ने उसी साल ताज महल का निर्माण शुरू करवा दिया था. हालांकि, 1653 में इसके निर्माण के तुरंत बाद ही उनके बेटे औरंगजेब ने शाहजहां को सत्ता से हटाते हुए आगरा फोर्ट के पास नजरबंद कर दिया था.
सेंट्रल एशिया और ईरान से भी बुलाए गए थे कलाकार
ताज महल बनवाने के लिए शाहजहां ने न सिर्फ अपने साम्राज्य से, बल्कि सेंट्रल एशिया और ईरान से भी सभी मेसॉन, स्टोनकटर्स, इनलेयर्स, कार्वर्स, पेंटर, कैलिग्राफर, डोम-बिल्डर्स और अन्य कलाकारों को बुलाकर काम में लगाया था. कहा यह भी जाता है कि ताज महल बनने के बाद शाहजहां ने इसके आर्किटेक्ट उस्ताद अहमद लाहौरी और उनके करीबी सहयोगियों के हाथ कटवा दिए थे, ताकि दुनिया में कहीं भी ऐसी इमारत का निर्माण नहीं किया जा सके.