उज्जैन
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के क्षरण को रोकने के लिए शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई गाइडलाइन का शनिवार सुबह से ही पालन होने लगा। सुबह भस्मारती से पहले ज्योतिर्लिंग पर पूरी तहर से सूती कपड़ा लपेटकर भस्म चढ़ाई गई। इसके साथ ही आरओ के शुद्ध जल से भगवान महाकाल का अभिषेक प्रारंभ कर दिया गया है।
शिवलिंग क्षरण रोकने के लिए मंदिर प्रबंध समिति ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष 24 बिंदुओं पर अपनी बात रखी थी। क्षरण रोकने के लिए समिति द्वारा दिए गए प्रस्तावों को सुप्रीम कोर्ट ने सराहा। मंदिर प्रबंध समिति ने अपने जवाब के साथ कोर्ट को उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी।
ये महत्वपूर्ण प्रस्ताव, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने सराहा
- श्रद्धालु को जलाभिषेक के लिए 500 मिली जल की मात्रा निश्चित की जाए। जल आरओ का हो। इसकी व्यवस्था गर्भगृह के पास हो।
- पुष्प और बेलपत्र शिवलिंग के ऊपरी भाग में ही चढ़ाए जाएं।
- श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होने पर गर्भगृह में प्रवेश पर प्रतिबंध।
- गर्भगृह का तापमान 17 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच हो।
- भस्म चढ़ाने के दौरान शिवलिंग को सूती कपड़े से पूरा ढंका जाए। अभी तक इसे आधा ही ढंका जाता रहा है।
- श्रद्धालु अभिषेक के लिए 1.25 लीटर से अधिक पंचामृत का प्रयोग नहीं करें।