Home राज्य कहीं कांग्रेस के लिए केशुभाई पटेल न बन जाएं हार्दिक पटेल!

कहीं कांग्रेस के लिए केशुभाई पटेल न बन जाएं हार्दिक पटेल!

0
SHARE

अहमदाबाद

क्या पाटीदार अनामत आंदोलन समीति (पीएएएस) के प्रमुख हार्दिक पटेल अगले केशुभाई पटेल होंगे? केशुभाई, बीजेपी के पूर्व नेता, जिन्होंने बीजेपी का साथ छोड़ 2012 में गुजरात परिवर्तन पार्टी लॉन्च की और बड़ी संख्या में नाराज पटेल वोटों को अपनी तरफ करने में कामयाब साबित हुए थे। साल 2012 के चुनाव में केशुभाई पटेल को कुल वोट शेयर का 3.63 पर्सेंट मिला था। यह वोट आसानी से कांग्रेस को जा सकता था, लेकिन ये वोट जीपीपी ने हासिल किए और राज्य में पटेलों का गढ़ माने जाने वाले इलाकों में बीजेपी के लिए जीत आसान हो गई। इसमें सबसे बड़ा इलाका सौराष्ट्र भी शामिल है। जीपीपी सिर्फ दो सीट जीत पाई, लेकिन दर्जनों सीटों पर कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर दी।

पटेलों के आरक्षण संबंधी अल्टिमेटम पर कांग्रेस फिर बड़ी परेशानी में आ गई है। ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर ओबीसी लिस्ट में पाटीदार समाज को शामिल करने का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए पटेलों के लिए आरक्षण का आश्वासन देना असंभव है। ऐसी स्थिति में यदि हार्दिक किसी तीसरी पार्टी को समर्थन का ऐलान कर सकते हैं, ज्यादा संभावना है कि यह तीसरी पार्टी एनसीपी हो सकती है, ऐसे में कांग्रेस के वोट कट सकते हैं और इसका फायदा भी बीजेपी को होगा। अगर ऐसा हुआ तो 2012 की तरह ही पटेल वोट बीजेपी को ही फायदा पहुंचा सकते हैं।

यदि हार्दिक कांग्रेस के साथ नहीं जाते हैं तो पार्टी की दो साल की मेहनत पटेल वोटों के बंट जाने की वजह से पूरी तरह व्यर्थ हो जाएगी और इसका पूरा फायदा बीजेपी को ही जाएगा। साल 2012 में, जीपीपी ने 164 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे। इनमें पार्टी दो सीटें ही जीत सकी थी। इसी के साथ जीपीपी राज्य की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी साबित हुई। जीपीपी को 3.63 पर्सेंट वोट मिले। बीजेपी को 47.9 पर्सेंट और कांग्रेस को 38.9 पर्सेंट वोट मिले। इस चुनाव में बीजेपी कांग्रेस वोट शेयर के 9 पर्सेंट के अंतर को मैनेज करने में कामयाब रही।

गुजरात यूनिवर्सिटी में पूर्व रीडर दिनेश शुक्ला का मनना है कि बीजेपी का पूर्ण विरोध करने और कांग्रेस के प्रति थोड़ा नरमी बरतने की वजह से हार्दिक के पास कुछ ही रास्ते बचे हैं। शुक्ला का कहना है, ‘यदि वह आम आदमी पार्टी, एनसीपी के साथ जाते हैं या अपने निर्दलीय उम्मीदवार खड़े करते हैं तो पूरी तरह से बीजेपी को ही फायदा देगा।’ शुक्ला का कहना है, ‘पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल लोगों को तीसरा विकल्प देकर यह गलती कर चुके हैं। नाराज पटेल वोट तो उन्हें मिले, लेकिन इससे न तो बीजेपी को नुकसान हुआ और न ही कांग्रेस को फायदा। बीजेपी सभी चुनावों में वोट तोड़ने की इसी रणनीति पर काम कर रही है।’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here