Home विदेश आतंक को चीन का सपॉर्ट, भारत-US मिलकर बना रहे योजना

आतंक को चीन का सपॉर्ट, भारत-US मिलकर बना रहे योजना

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नई दिल्ली

चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में जैश-ए- मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के साथ खड़ा है। ऐसे में भारत और अमेरिका मिलकर अपने अगले कदम पर विचार कर रहे हैं। दिसंबर में भारत और अमेरिकी अधिकारियों की इस बाबत मुलाकात भी होगी। दोनों देश मिलकर जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों पर दबाव बनाने की रणनीति पर विचार करेंगे। इसमें सुरक्षा परिषद की 1267 सदस्यीय कमिटी के सामने रखे जाने वाले अगले आतंकवादी के नाम पर भी चर्चा होगी।

इस साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बीच हुई बैठक में इस नए परामर्श-तंत्र पर सहमति बनी थी। बैठक के बाद दोनों ओर से जारी हुए संयुक्त बयान में अल-कायदा, आईएसआईएस, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा, डी कंपनी जैसे आतंकवादी संगठनों के खतरे से निपटने के लिए मजबूत समन्वय बनाने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की गई थी। दोनों नेताओं ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों के खिलाफ नया परामर्श तंत्र विकसित करने पर सहमति जतायी थी।

उदाहरण के लिए, मसूद अजहर का भाई अब्दुल राउफ असगर, इस लिस्ट में अगला नाम हो सकता है। राउफ पर पठानकोठ एयरबेस पर हुए आतंकवादी हमले में शामिल होने का आरोप है। अजहर का दूसरा भाई मौलाना इब्राहिम अतर अल्वी IC-814 के अपहरण का मास्टरमाइंड है। इसके बाद ही भारत को यात्रियों को छुड़ाने के ऐवज में अजहर को जेल से रिहा करना पड़ा था।

भारत के पास पाकिस्तानी की सेना और खुफिया एजेंसियों के समर्थन से काम कर रहे अन्य आतंकवादियों की लिस्ट भी है, जिसे वह 1267 सदस्यीय समिति के सामने पेश करना चाहता है। भारत चाहता है कि चीन पाकिस्तान को कई स्तरों पर बचाता रहे। अगर पेइचिंग सरकार लगातार खतरनाक आतंकवादियों के खिलाफ कार्यवाही में रोड़े अटकाती रहेगी तो उसे वैश्विक आतकंवाद का समर्थक माना जाएगा।

चीनी अधिकारियों ने लगातार इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि अमेरिका उन पर अजहर को लेकर दबाव नहीं डालेगा क्योंकि उत्तर कोरिया के साथ लगातार खराब होते उसके संबंधों में उसे चीन की जरूरत है। चीन ने खुद भी पाकिस्तान से ईटीआईएम आतंकवादियों के खिलाफ अपने नए राजदूत के लिए अतिरिक्त सुरक्षा की मांग की है। इनमें से कई आतंकवादियों की ट्रेनिंग पाकिस्तान में ही हुई है।

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