नई दिल्ली
भारत की राजधानी समेत आसपास के शहर इन दिनों खतरनाक स्मॉग से जूझ रहे हैं। शहर में एयर क्वॉलिटी इंडेक्स बेहद खराब है और पार्टिक्युलेट मटीरियल्स का स्तर बढ़ गया है। भारत में इससे निपटने के प्रयास अब तक बहुत प्रभावी नहीं रहे हैं, लेकिन चीन ने जरूर इस दिशा में अहम कदम उठाए हैं। चीन की राजधानी पेइचिंग का स्थानीय प्रशासन क्षेत्र में पीएम 2.5 के लेवल को बीते साल के 73 माइक्रोग्राम से घटाकर 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पर लाने की तैयारी कर रही है।
दिल्ली में जिस तरह की प्रदूषण वाली धुंध छाई हुई है, वैसे ही हालात चीन की राजधानी पेइचिंग में पिछले चार दिनों से थे। लेकिन बुधवार को अमेरिकी प्रेजिडेंट डॉनल्ड ट्रंप पेइचिंग आने वाले थे। उन्हें प्रदूषण से कोई दिक्कत न हो इसलिए चीन ने आसमान में छाई धुंध की मोटी परत को मंगलवार रात में ही हटा दिया।
बुधवार सुबह पेइचिंग में आसमान बिलकुल साफ नजर आया। ट्रंप का विमान दोपहर को पेइचिंग एयरपोर्ट पर उतरा और काफी दूर से फटॉग्रफरों ने उनकी साफ तस्वीरें खींची। यह फोटो मंगलवार को ली गई थी, जिसमें चारों तरफ धुंध ही धुंध छाई हुई है। बुधवार सुबह पेइचिंग में आसमान बिलकुल साफ नजर आया। ट्रंप का विमान दोपहर को पेइचिंग एयरपोर्ट पर उतरा और काफी दूर से फटॉग्रफरों ने उनकी साफ तस्वीरें खींची। यह फोटो मंगलवार को ली गई थी, जिसमें चारों तरफ धुंध ही धुंध छाई हुई है।
दूसरी ओर नई दिल्ली में बुधवार को एक विशेष मेहमान- ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स आए। लेकिन उन्हें धुंध के बीच ही एयरपोर्ट पर उतरना पड़ा। सोशल मीडिया पर कई भारतीय यूजर्स ने इस बात पर सवाल उठाया कि आखिर हम चीन जैसे आपातकालीन उपाय क्यों नहीं उठा सकते।
चीन ने ट्रंप के आने से पहले जिन आपातकालीन उपायों के जरिये आसमान साफ किया, उनमें गाड़ियों और कंस्ट्रक्शन को बैन करना प्रमुख था। साथ ही स्टील, सीमेंट और कोयला कंपनियों के प्रोडक्शन पर अस्थायी रोक लगा दी गई थी। इन उपायों से करीब 25 फीसदी प्रदूषण कम करने का दावा किया गया।
बता दें कि दिल्ली में बीते तीन साल में यह आंकड़ा औसतन 132 माइक्रोग्राम का रहा है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि पेइचिंग समेत चीन के अन्य प्रदूषण से प्रभावित शहरों की हवा में लगातार सुधार दिख रहा है। जानें, कैसे चीन के शहर निपट रहे हैं प्रदूषण की समस्या से…
ब्लू अलर्ट
– एयर क्वॉलिटी इंडेक्स में पीएम 2.5 का स्तर 1 दिन तक 200 से ऊपर रहने पर यह अलर्ट जारी होता है।
– बच्चों, बुजुर्गों, मरीजों और अन्य संवेदनशील बीमारियों से पीड़ित लोगों को घर से कम से कम बाहर निकलने की सलाह दी जाती है।
– स्कूलों में भी आउटडोर ऐक्टिविटीज को सीमित कर दिया जाता है।
– धूल को कम करने के प्रयास किए जाते हैं।
येलो अलर्ट
– एयर क्वॉलिटी इंडेक्स में पीएम 2.5 का स्तर 2 दिन तक 200 से ऊपर रहने पर यह अलर्ट जारी होता है।
– स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में आउटडोर ऐक्टिविटीज को बंद करने का आदेश दिया जाता है।
– पर्यावरण, स्वास्थ्य और शिक्षा मंत्रालय की ओर से लोगों के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं।
– सार्वजनिक परिवहन के उपयोग से प्रदूषण को कम करने के प्रयास।
– मुख्य सड़कों पर हर दिन अतिरिक्त सफाई।
– आउटडोर पेंटिंग, कटिंग और मकानों को गिराने जैसे कामों में कमी।
ऑरेंज अलर्ट
– एयर क्वॉलिटी इंडेक्स में पीएम 2.5 का स्तर 3 दिन तक 200 से ऊपर रहने पर यह अलर्ट जारी होता है।
– मेडिकल और स्वास्थ्य संस्थानों की ओर से मेडिकल सलाह दी जाती है।
– वर्किंग शेड्यूल में बदलाव किया जाता है ताकि ट्रैफिक की स्थिति में सुधार हो सके।
– पुराने स्टैंडर्ड्स वाले वाहनों पर रोक।
– निर्माण कार्यों पर पूरी तरह या सीमित रोक लगाना।
– निर्माण सामग्री के कचरे के ट्रांसपोर्टेशन पर रोक।
रेड अलर्ट
– एयर क्वॉलिटी इंडेक्स में पीएम 2.5 का स्तर 4 दिन तक 200 से ऊपर रहने, दो दिन तक 300 के स्तर से ऊपर या फिर एक दिन 500 के स्तर से ऊपर होने पर यह अलर्ट जारी होता है।
– सभी लोगों को आउटडोर ऐक्टिविटीज न करने की सलाह दी जाती है।
– आउटडोर वर्कर्स को मास्क पहनने को कहा जाता है।
– मिडिल स्कूल्स, एलिमेंट्री स्कूल्स का शेड्यूल फ्लेक्सिबल किया जाता है।
– मेडिकल इंस्टिट्यूट्स में इमर्जेंसी से निपटने के लिए ज्यादा लोगों की तैनाती की जाती है।
– ऑफ-पीक वर्क शिफ्ट्स और रिमोट वर्किंग को बढ़ावा।
– ऑड-ईवन कारों का इस्तेमाल।
– स्थानीय स्तर पर उत्पादित बिजली की बजाय बाहरी बिजली का यूज