नई दिल्ली
दुश्मन की सीमा में घुसकर लक्ष्य भेदने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण अब सुखोई फाइटर जेट से किया जाएगा। आवाज की गति से करीब तीन गुना अधिक यानी 2.8 माक की गति से हमला करने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल का इस सप्ताह पहली बार सुखोई-30 एमकेआई फाइटर जेट से परीक्षण होगा। फाइटर जेट से मार करने में सक्षम ब्रह्मोस मिसाइल के इस परीक्षण को ‘डेडली कॉम्बिनेशन’ कहा जा रहा है। हवा से जमीन पर मार करने वाले ब्रह्मोस मिसाइल का दुश्मन देश की सीमा में स्थापित आतंकी ठिकानों पर हमला बोलने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
सूत्रों के मुताबिक यह मिसाइल अंडरग्राउंड परमाणु बंकरों, कमांड ऐंड कंट्रोल सेंटर्स और समुद्र के ऊपर उड़ रहे एयरक्राफ्ट्स को दूर से ही निशाना बनाने में सक्षम है। बीते एक दशक में सेना ने 290 किलोमीटर की रेंज में जमीन पर मार करने वाली ब्रह्मोस मिसाइल को पहले ही अपने बेड़े में शामिल कर लिया है। ब्रह्मोस मिसाइल के लिए 27,150 करोड़ रुपये के ऑर्डर दिए गए हैं। इसके लिए सेना, नेवी और इंडियन एयर फोर्स ने अपनी रुचि दिखाई है।
जून, 2016 में भारत के 34 देशों के संगठन मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रिजीम का हिस्सा बनने के बाद अब मिसाइलों की रेंज की सीमा भी अब खत्म हो चुकी है। ऐसे में अब सशस्त्र बल ब्रह्मोस के 450 किलोमीटर रेंज तक मार करने वाले वर्जन के परीक्षण की तैयारी में हैं। एमटीसीआर की सदस्यता मिलने के बाद भारत 300 किलोमीटर की रेंज वाली मिसाइलों को तैयार करने में सक्षम होगा। फिलहाल ब्रह्मोस मिसाइल के हाइपरसोनिक वर्जन को तैयार करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं, जो माक 5 की स्पीड से उड़ान भरने में सक्षम होगी।
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इसी कड़ी में इस सप्ताह बंगाल की खाड़ी में ब्रह्मोस मिसाइल के हल्के वर्जन (2.4 टन) का परीक्षण दो इंजन वाले सुखोई फाइटर जेट से किया जाएगा। इससे पहले ब्रह्मोस मिसाइल के असली वर्जन का वजन 2.9 टन था।