गुरुग्राम/नई दिल्ली
प्रद्युम्न मर्डर केस में पुलिस की नजर कैसे कई अहम सबूतों पर नहीं गई। यह सवाल पुलिस को संदेह के दायरे में ले आता है। सीबीआई को शक है कि गुरुग्राम पुलिस जानती थी कि असली कातिल कौन है और उसे बचाने की कोशिश की जा रही थी। सूत्रों के अनुसार, मर्डर में 11वीं के छात्र को दोषी मानने के बाद अब सीबीआई इसके साजिश के ऐंगल की ही जांच कर रही है। मर्डर में उस छात्र के शामिल होने के काफी सबूत सीबीआई को मिल चुके हैं लेकिन अब इस बात की जांच हो रही है कि उसे बचाने में किस-किस का हाथ शामिल है। इस मर्डर केस में सीबीआई एक महीने के अंदर अंतिम चार्जशीट दायर कर सकती है।
सीबीआई ने दावा किया है कि उस छात्र के मर्डर करने की बात स्कूल मैनेजमेंट और पुलिस दोनों को मालूम थी और इनकी ओर से सबूत मिटाने के लिए बड़ी साजिश रची गई है। साजिश का पता लगाने के लिए संबंधित पुलिस, स्कूल मैनेजमेंट और स्कूल के कई कर्मचारियों से पूछताछ हुई है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सीबीआई ने सोमवार को गुरुग्राम पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम को बुलाया क्योंकि एजेंसी जानना चाहती थी कि आरोपी छात्र के खिलाफ इतने सारे सबूत पुलिस ने क्यों नजरअंदाज किए। सोमवार को सीबीआई की दो टीमें गुरुग्राम में मौजूद थीं, एक टीम ने रायन इंटरनैशनल स्कूल में तैनात गुरुग्राम पुलिस टीम को स्कूल कैंपस में घुसने से मना किया, जब वह भीतर जांच कर रही थी। वहीं, दूसरी टीम सिटी कोर्ट में थी जहां एसआईटी के 4 सदस्यों को बुलाया गया था। सीबीआई ने आधिकारिक तौर पर इन बैठकों की पुष्टि से इनकार किया।
सूत्रों ने बताया कि एसआईटी से पूछा गया कि 10 दिन की जांच के दौरान पुलिस इतने अहम सबूत क्यों नहीं इकट्ठा कर पाई। एसआईटी का दावा था कि सीसीटीवी फुटेज को बार-बार खंगालने और करीब 100 लोगों से पूछताछ की गई थी लेकिन सीबीआई द्वारा आरोपी बनाए गए छात्र को वह मुख्य गवाह समझती रही। पिछले सप्ताह सीबीआई ने 11वीं के छात्र को आरोपी बनाया और अब एजेंसी यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि वह गुरुग्राम पुलिस को कैसे गुमराह कर पाया। सूत्रों ने बताया कि सीबीआई ने एसआईटी के जिन सदस्यों को पूछताछ के लिए बुलाया था, उनमें एक एसीपी, एक इंस्पेक्टर, एक एसआई और एक लोअर रैंक का अधिकारी था। हालांकि जब हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के रिपोर्टर ने इन अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की तो कॉल्स का कोई जवाब नहीं मिला।
सोमवार को सीबीआई के अधिकारी ने कहा, ‘इस केस में कई ऐसे सबूत थे, जिनपर सामान्यत: पुलिस की नजर न गई हो। हम फिलहाल कोई आरोप नहीं लगा रहे लेकिन जानना चाहते हैं कि इतने अहम सबूतों पर पुलिस की नजर नहीं पड़ी या उनका गलत आकलन किया गया।’ सीबीआई के प्रवक्ता आर के गौड़ ने कहा कि कंडक्टर अशोक की जमानत याचिका पर 16 नवंबर को सुनवाई होगी और एजेंसी उसके बाद ही सवालों के जवाब देगी।सूत्रों के अनुसार, इस केस में कंडक्टर अशोक से पूछताछ में अहम जानकारी हाथ लगी है। अशोक को गुरुग्राम पुलिस ने प्रद्युम्न के मर्डर में अरेस्ट किया था।
सीबीआई के अनुसार, मर्डर जांच को हाथ में लेने के तुरंत बाद उसने सीसीटीवी फुटेज को देखा तो उसे संदेह हो गया था कि कोई स्टूडेंट ही इसमें शामिल है। उस टॉइलट के करीबी क्लास 11 के सभी छात्रों से सीबीआई ने पूछताछ कर पता लगाने की कोशिश की कि सीसीटीवी में दिख रहा स्टूडेंट कौन है। दरअसल फुटेज में बहुत ही धुंधली तस्वीर दिख रही थी। पूछताछ के बाद पांच छात्रों पर एजेंसी का ध्यान गया और अंत में इन पांचों की गतिविधियों को ट्रैक किया गया तो उससे मर्डर केस को सुलझाने का दावा किया गया। सीसीटीवी में प्रद्युम्न के साथ 11वीं का छात्र टॉइलट में जाता देखा गया।
एक और अहम चूक
प्रद्युम्न मर्डर केस में पुलिस की ओर से एक अहम चूक सामने आई है। जघन्य अपराध के मामलों में एसएचओ लेवल का अधिकारी केस दर्ज करता है, लेकिन इस मामले में एक एसआई ने न केवल केस दर्ज किया बल्कि उसी ने कंडक्टर को अरेस्ट किया। गुरुग्राम पुलिस इस बात पर चुप्पी साधे हुए है लेकिन सीबीआई इसे लेकर भी पुलिस पर शक कर रही है।
आरोपी छात्र की सोशल ऐक्टिविटीज की जांच
जूवेनाइल जस्टिस बोर्ड के निर्देंशों के बाद सीबीआई ने बाल कल्याण समिति(CWC) को जूवेनाइल आरोपी की सामाजिक गतिविधियों की जांच करने को कहा है, जिसके लिए 15 दिनों का वक्त दिया गया है।