Home राज्य मप्र हिंदुओं की घटती जनसंख्या से लोकतंत्र को खतराः गिरिराज सिंह

हिंदुओं की घटती जनसंख्या से लोकतंत्र को खतराः गिरिराज सिंह

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भोपाल

अपने विवादित बयानों के चलते चर्चा में रहने वाले केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने एक और विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि भारत में जनसंख्या में तेजी से बदलाव के चलते राष्ट्रवाद खतरे में है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में ‘राष्ट्रवाद एक संकल्प से नव भारत की सिद्धी’ विषय पर दिए अपने लेक्चर में उन्होंने कहा कि बहुसंख्यक समुदाय के जनसंख्या में कमी से न केवल लोकतंत्र कमजोर हो रहा है, यह देश में राष्ट्रवाद की परिभाषा को बदल देगा।’

उन्होंने कहा, ‘जहां-जहां हिंदुओं की जनसंख्या गिरी है, वहां-वहां राष्ट्रवाद कमजोर हो रहा है।’ उन्होंने दावा किया, ‘देश में 54 ऐसे जिले हैं, जहां जनसंख्या की जनसांख्यिकी में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। इन 54 जिलों में से 5 जिले केरल के, 9 पश्चिम बंगाल के, 12 असम, 4 बिहार, 17 उत्तर प्रदेश और 2 झारखंड के हैं। इन जिलों में हिंदुओं की संख्या में भारी गिरावट आई है। केरल के मलप्पुरम जिले समेत इन जिलों में तो गैर मुस्लिमों का प्रवेश प्रतिबंधित है।’

गिरिराज ने कहा कि सिर्फ हिंदुओं की जनसंख्या खतरे में नहीं है। एक राष्ट्रीय अखबार का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि उसमें खबर छपी थी कि केरल से 1300 ईसाई लड़कियां लव जिहाद के चलते गायब हो गईं। उन्होंने कहा कि जब भारत भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था, तब पाकिस्तान में हिंदुओं की जनसंख्या 22 फीसदी थी। अब वहां हिंदुओं की आबादी केवल 1 फीसदी रह गई है।

उन्होंने कहा कि इसके विपरीत 1947 में भारत में मुस्लिम आबादी 8 फीसदी थी जी और हिंदुओं की आबादी 90 फीसदी थी। अब नए आंकड़ों में आया है कि हिंदुओं की जनसंख्या 72 फीसदी हो गई है जबकि मुस्लिम आबादी 20 फीसदी से ज्यादा हो गई है। केंद्रीय मंत्री ने दावा किया कि जनसंख्या में इस बदलाव का भारतीय संस्कृति और धर्म पर विपरीत प्रभाव डालेगा। धीरे-धीरे देश में कौमियत हावी हो जाएगा।

उन्होंने कहा कि भारत में बढ़ती जनसंख्या पर लगाम लगाने के लिए एक कानून होना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि हमारा देश फारूक अब्दुल्ला जैसे लोगों को खाने के लिए दे रहा है लेकिन वह पाकिस्तान की प्रशंसा करते हैं। कांग्रेस नेता अफजल गुरू के समर्थन में जेएनयू जाते हैं। इन लोगों में से किसी की हिम्मत नहीं है कि वे अंडमान और निकोबार की सेलुलर जेल जाएं, जहां अंग्रजों की क्रूरता के कारण वीर सावारकर की मौत हो गई थी।

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