नई दिल्ली,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी केंद्रीय चुनाव समिति ने गुजरात चुनाव के लिए 182 विधानसभा सीटों में से लगभग 145 सीटों पर उम्मीदवारों के नाम पर सहमति बना ली है.१४५ उम्मीदवारों के नाम पर सहमति के बाद पीएम मोदी, अमित शाह, विजय रुपाणी और प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष जीतू वघानी ने लगभग 50 मिनट तक मीटिंग की और ये तय किया कि अभी अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं करनी चाहिए. उसके बाद अमित शाह ने अपनी रणनीति में कुछ बदलाव किया है.
बीजेपी अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करने से पहले एक बार फिर हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी के करीबी लोगों को तोड़कर बीजेपी में शामिल करा उन्हें टिकट देकर कांग्रेस को बड़े झटके देना चाहती है. बीजेपी नेतृत्व हार्दिक की सीडी आने के बाद पाटीदार समाज का रुख हार्दिक को लेकर कैसा रहेगा उस पर भी नज़र बनाए हुए हैं.
जिस तरह से पिछले दिनों में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गुजरात में घूम घूमकर चुनाव प्रचार किया और कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की है उसके बाद बीजेपी के माथे पर चिंता की लकीर साफ दिखाई दे रही है. पहली बार बीजेपी गुजरात चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों के नामों का इंतज़ार कर रही है. सूत्रों की मानें तो बीजेपी कांग्रेस की घोषणा के बाद ही अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करेगी. बता दें कि कांग्रेस 17 नवंबर को गुजरात चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामों पर बैठक करेगी.
बता दें कि गुजरात में पहले चरण के 19 जिलों की 89 सीटों के नामांकन की अंतिम तारीख 21 नवंबर है. इसलिए बीजेपी के पास अभी अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा करने के लिए समय है. वहीं दूसरे चरण के 93 सीटों के नामांकन की अंतिम तारीख 27 नवंबर है.
बीजेपी की सबसे बड़ी चिंता सौराष्ट्र की उन 54 सीटों पर है, जहां पाटीदारों का गढ़ है. पिछली बार सौराष्ट्र में बीजेपी 54 सीटों में से 35 सीटें जीती थी, लेकिन पाटीदार आंदोलन के बाद बीजेपी नेतृत्व को इस बार परिस्थिति बदली हुई लगती है. दूसरी तरफ नोटबंदी और जीएसटी के बाद गुजरात की ग्रामीण सीटों के समीकरणों को देखते हुए भी बीजेपी चिंतित इसलिए है क्योंकि वहां लोगों को जीएसटी और नोटबंदी के फायदे बताने में बहुत पार्टी ज़्यादा सफल नहीं हो पाई है.
गुजरात चुनाव जीतना बीजेपी के लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पीएम मोदी के विकास के मॉडल गुजरात है. अगर नींव हिल गई तो विकास मॉडल ध्वस्त होने में देर नहीं लगेगी. इसलिए पीएम मोदी और अमित शाह गुजरात चुनाव जीतने के अपने तरकश के हर तीर का इस्तेमाल करने से नहीं चूकेंगे.