नई दिल्ली
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन देश के सैटलाइट लॉन्च सिस्टम में अब बड़ी क्रांति लाने की तैयारी में है। इसरो इन दिनों एक छोटे लॉन्च वीकल को तैयार करने में जुटा है, जिसे सिर्फ तीन दिनों में असेंबल किया गया जा सकेगा। पीएसएलवी जैसे रॉकेट्स को तैयार करने में आमतौर पर 30 से 40 दिन लग जाते हैं, ऐसे में इसरो का यह प्रयास सैटलाइट लॉन्चिंग की दिशा में बड़ी क्रांति जैसा होगा। यही नहीं इस रॉकेट को तैयार करने में पीएसएलवी की तुलना में 10 फीसदी राशि ही खर्च होगी।
दुनिया भर में लॉन्च वीकल की मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट फिलहाल 150 से 500 करोड़ रुपये तक होती है। तिरुअनंतपुरम स्थित विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के डायरेक्टर डॉ. के सिवान ने इंडियन स्पेस प्रोग्राम पर आयोजित एक सेमिनार से इतर कहा, ‘इसरो इन दिनों छोटा लॉन्च वीकल तैयार करने में व्यस्त है। यह 2018 के अंत या फिर 2019 की शुरुआत तक तैयार हो सकता है। इस वीकल की कीमत पीएसएलवी के मुकाबले 10 फीसदी ही होगा। हालांकि यह रॉकेट 500 से 700 किलो तक के सैटलाइट्स को ही लॉन्च कर सकेगा।’
भारत ने उत्तरी अक्षांश में ऐसे कई सैटलाइट्स स्थापित किए हैं, जो अर्थ इमेजिंग और मौसम की जानकारी देते हैं। डॉ. सिवान ने कहा, ‘इस मिनी पीएसएलवी का वजन 100 टन होगा, इससे पहले सामान्य पीएसएलवी का वजन 300 टन तक होता था।’ गौरतलब है कि हाल में ही इसरो के चेयरमैन ए.एस. किरन कुमार ने बयान जारी कर कहा था कि हम अंतरिक्ष अभियानों की लागत को कम करने की कोशिशों में जुटे हैं।