प्राइमरी स्कूलों की छुट्टी के बाद उसमें किसान पढ़ाई करेंगे। उन्हें स्कूलों में खेतीबाड़ी के नए तौर-तरीके सिखाए जाएंगे। साथ ही आय बढ़ाने के लिए कृषि से जुड़े उद्योगों और सरकारी योजनाओं के बारे में बताया जाएगा। योजना के तहत 10 लाख किसानों के प्रशिक्षण का खाका बनाया गया है। यही वजह है कि योजना को मिलियन फार्मर नाम दिया गया है। योजना की शुरुआत विश्व मृदा दिवस के मौके पर पांच दिसंबर को की जाएगी। मुख्यमंत्री अपने आवास 5, कालीदास मार्ग पर इसे लॉन्च करेंगे। मुख्यमंत्री इस मौके पर कृषक प्रचार वाहनों को रवाना करेंगे और किसानों के हित में कुछ ऐप भी लॉन्च किए जाएंगे।
7500 न्याय पंचायतों में दिया जाएगा प्रशिक्षण
प्रदेश की कुल 8135 न्याय पंचायतों में 7500 न्याय पंचायतों में यह योजना संचालित की जाएगी। हर न्याय पंचायत में दो-दो ग्राम पंचायतों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। किसानों की ज्यादातर पाठशालाएं प्राइमरी स्कूलों में ही चलेंगी। स्कूल उपलब्ध न होने की स्थिति में कुछ जगह न्याय पंचायत केंद्रों पर भी प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके लिए हर सेंटर पर एक मास्टर ट्रेनर कृषि विभाग उपलब्ध करवाएगा। इनकी योग्यता बीएससी या एमएससी (एग्रीकल्चर) होगी। पाठशाला में किसानों को मौखिक जानकारी के साथ नोट्स भी दिए जाएंगे। किसान अपने अनुभव भी बताएंगे। पाठशाला में पशुपालन, डेयरी उद्योग सहित कृषि से जुड़े व्यवसायों का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें पंचायती राज, ग्राम्य विकास विभाग और उद्योग विभाग भी सहयोग करेंगे।
प्रदेश के कृषि निदेशक सरोज सिंह ने बताया, ‘किसानों की आय बढ़ाना सरकार का लक्ष्य है। इसे ध्यान में रखते हुए हम यह नया प्रयोग करने जा रहे हैं। किसानों को तकनीक, कृषि और कृषि व्यवसाय की जानकारी उनके घर पर देने की तैयारी की गई है। हमें उम्मीद है कि निश्चित ही इस योजना से किसानों को लाभ होगा।’