नई दिल्ली
भारत ने रणनीतिक तौर पर अहम माने जाने वाले अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक बड़ा सैन्य अभ्यास किया है। जरूरी बल संख्या और आधारभूत ढांचे के साथ यह इलाका हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की रणनीतिक चालों के खिलाफ भारत की कार्रवाई की धुरी बन सकता है। साथ ही यहां से मलक्का जलडमरूमध्य की ओर जाने वाले जल मार्गों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकती है। बता दें कि मलक्का जलडमरूमध्य हिंद और प्रशांत महासागर के बीच काफी व्यस्त पोत मार्गों में से एक है।
फाइटर विमानों, हेवी लिफ्ट ट्रांसपॉर्ट एयरक्राफ्ट, जंगी जहाजों, जंगी वाहनों, स्पेशल फोर्स और नियमित सेना के साथ ‘डिफेंस ऑफ अंडमान ऐंड निकोबार आइलैंड्स एक्सर्साइज़’ (DANX) को 20 नवंबर से 24 नवंबर के बीच आयोजित किया गया। इसका मकसद इलाके में आर्मी, एयरफोर्स और नेवी के बीच तालमेल को बढ़ाना और ऑपरेशन क्षमता तो तराशना।
ट्राई सर्विस अंडमान ऐंड निकोबार कमांड (ANC) एकीकृत रक्षा बल के तहत काम करती है, जो तीनों सेनाध्यक्षों की समिति के प्रमुख को रिपोर्ट करता है। इसके पास आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के सभी संसाधन और बल मौजूद हैं, लेकिन पिछले कई सालों से यह संसाधनों के अभाव, पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं और राजनीतिक प्रशासनिक उदासीनता के चलते उपेक्षित रहा। हालांकि एनडीए सरकार ने ANC को ‘पुनर्जीवित’ करने के संकेत दिए हैं। यही वजह है कि पिछले महीने ही रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने यहां का दौरा किया था।
अभ्यास में टैंकों का भी हुआ इस्तेमाल
एक अधिकारी ने कहा, ‘DANX ट्राई सर्विस अंडमान ऐंड निकोबार कमांड पहला बड़ा सैन्य अभ्यास था, जिसकी मंशा तीनों सेनाओं के बीच तालमेल को बेहतर बनाना था। इस सैन्य अभ्यास का मुख्य उद्देश्य था अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की सुरक्षा के लिए जरूरी कार्रवाई और प्रक्रियाओं को सही तरीके से समझना और उसे लागू करना।’
अधिकारी ने बताया कि इस सैन्य अभ्यास में फाइटर ऑपरेशंस, समुद्र में नाइट पैरा जंप्स, हेलिकॉप्टर से जंगी जहाज पर उतरना और जहाजों के जरिए समुद्र में उतरने जैसे अभ्यास किए गए। इस दौरान एक आइलैंड को दुश्मनों के कब्जे से छुड़ाने की प्रैक्टिस भी की गई। ANC के कमांडर-इन-चीफ वाइस एडमिरल बिमल वर्मा ने सैन्य बलों से कहा कि वे यहां किए गए अभ्यास को हमेशा ध्यान में रखें और भविष्य के लिए पूरी तरह तैयार रहें।
हिंद महासागर क्षेत्र में अकसर चीन की परमाणु और पारंपरिक पनडुब्बियों दिखती रहती हैं, ऐसे में भारतीय नौसेना ने यहां नियमित तौर पर Poseidon-8I लॉन्ग रेंज एयरक्राफ्ट और साथ ही जासूसी ड्रोन्स तैनात करने का फैसला किया है। इसके अलावा वायुसेना भी बंगाल की खाड़ी में अभ्यास के लिए इस द्वीप समूह में सुखोई-30 जैसे लड़ाकू विमान तैनात करती रहती है। हिंद महासागर में चीन की गतिविधियों पर बाज जैसी नजर रखने के अलावा, ANC को मजबूत किया जाना भी बेहद जरूरी है ताकि इस इलाके में भारत के 5.95 लाख स्क्वेयर किलोमीटर के एक्सक्लूसिव इकनॉमिक जोन की सुरक्षा की जा सके, साथ ही समुद्री डाकुओं और आतंकवादी गतिविधियों पर बेहतर नजर रखी जा सके।