मुंबई
मुंबई के इतिहास में लहू से लिखी 26/11 की आज 9वीं बरसी है। मुंबई आतंकी हमले को कोई भुला नहीं पाया है। हमले के प्रत्यक्षदर्शी उस मंजर को याद कर कांप उठते हैं। एक तरफ निर्दोषों की निर्मम हत्या का दुख है तो वहीं हमले के मास्टरमाइंड के आज तक पकड़े नहीं जाने का गुस्सा भी। लोग कहते हैं कि मुंबई हमले के गुनहगार हाफिज सईद को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए, जो फिलहाल पाक में आजाद घूम रहा है। मुंबई हमलों में 166 लोगों की मौत हो गई थी।
देविका ने अपनी आंखों से खूनी खेल का वो खौफनाक मंजर देखा था। उनकी जान तो बच गई पर बेगुनाह लोगों के मारे जाने का उन्हें दुख है। देविका कुछ भी भूली नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘जब मैंने कसाब को कोर्टरूम में देखा तो काफी गुस्सा आया था। मुझे लगा अगर मेरे हाथ में गन होती तो मैं उसे वहीं मार देती। वैसे भी कसाब एक ‘मामूली मच्छर’ था, उम्मीद है बड़े आतंकियों को भी किसी दिन सजा मिलेगी।’
हमलों के गवाह मो. तौफीक आज भी उस दिन की याद कर परेशान हो जाते हैं। उन्होंने कहा, ‘जब भी 26/11 के बारे में सोचता हूं, व्याकुल हो जाता हूं। मैंने कई घायलों को बचाया था। मैं उस दिन का इंतजार कर रहा हूं जब इस हमले का मास्टरमाइंड पकड़ा जाएगा।’ एक अन्य पीड़ित ने कहा, ‘मेरी बेटी बस 9 साल की थी जब उसे गोली लगी थी। हां, हम खुश हैं कि कसाब को फांसी दी गई पर पूरी तरह नहीं क्योंकि हमले का मास्टरमाइंड पाकिस्तान में अभी तक जिंदा है।’
रहीम अंसारी उस दिन को याद कर गुस्से से लाल हो उठते हैं। मुंबई हमलों में उन्होंने अपने 6 लोगों को खोया था। वह कहते हैं, ‘मैं डिप्रेशन में चला गया था उस घटना के बाद। मेरे रिश्तेदारों के पास बचने का कोई मौका नहीं था। मैं खुश हूं कि दोषियों को सजा हुई पर हाफिज सईद पाकिस्तान में है। अच्छा होगा कि भारत सरकार उसे यहां लाए और सजा दे।’ इस आत्मघाती हमले में मौत के मुंह से बाहर आने वाले मुंबई क्राइम ब्रांच के कॉन्सटेबल अरुण जाधव ने खास बातचीत में बताया कि ‘वह काली रात उन्हें आज भी भुलाए नहीं भूलती।’
उन्होंने बताया कि आतंकवादी कसाब और इस्माइल कामा हॉस्पिटल में मौजूद थे और लगातार फायरिंग कर रहे थे। जैसे ही हमारी टीम कामा हॉस्पिटल पहुंची, हमने देखा कि एक ऑपरेटर घायल अवस्था में हॉस्पिटल से बाहर आया और खबर दी कि मुंबई पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी अंदर घायल पड़े हैं। हमने उस घायल ऑपरेटर को गाड़ी में बिठाया और जैसे ही आगे बढ़े, मुझपर और विजय सालस्कर पर पहली बार फायरिंग की गई, हालांकि हमारी जान बच गई थी।
आगे उन्होंने बताया, सालस्कर ने यह बात हेमंत करकरे को बताई और अशोक कामटे ने फैसला लिया कि हम सब कामा हॉस्पिटल के मुख्य द्वार पर जाकर इन आतंकियों का सामना करेंगे। जैसे ही हम मुख्य द्वार की ओर बढ़े, गाड़ी के वायरलेस पर मैसेज आया कि आगे के रास्ते से आतंकियों ने एक कॉन्सटेबल पर फायरिंग की है। अशोक कामटे ने आगे बढ़ने को कहा, पर रास्ते के बीच में आतंकियों ने धोखे से गाड़ी पर गोलीबारी की, जिससे हमारी टीम के सभी वरिष्ठ अधिकारी शहीद हो गए।
सीएसटी स्टेशन के बाहर स्थित स्टेशनरी के मालिक इब्राहिम निमचवाला ने बताया, ‘वह दिन तो बीत गया, पर उसका डर हमारे अंदर जिंदा है।’ मुंबई के मौजूदा सुरक्षा हालात के बारे में उन्होंने कहा, ‘तब और अब में बहुत फर्क आया है। अब सिक्यॉरिटी बहुत बढ़ी है, अब उस प्रकार का हमला होना असंभव जैसा है।’
पास के ही घड़ी की दुकान के कार्यवाहक वासनवाला ने बताया, ‘घटना 9 वर्ष पुरानी हो चुकी है और हमने उसे कब का भुला भी दिया है। अब बिल्कुल भी डर नहीं है।’ सुरक्षा के सवाल पर उनका जवाब था, ‘यहां अब भी सीसीटीवी कैमरे कुछ चालू और कुछ बंद रहते हैं। उन्हें पूरी तरह से दुरुस्त किया जाना चाहिए। साथ ही सिक्यॉरिटी को थोड़ा और बढ़ाया जाना चाहिए।’
सीएसटी स्टेशन के बाहर ही इमीटेशन की दुकान के गिरीश दमानी ने बताया, ‘सिक्यॉरिटी जितनी होनी चाहिए, अभी भी नहीं है। मेटल डिटेक्टर पूरी तरह से काम नहीं करते हैं। मोदी सरकार काम अच्छा कर रही है, हम सब उनके फैन हैं। मगर, पुलिस सिक्यॉरिटी थोड़ी बढ़नी चाहिए।’ यहीं पर कटलरी की दुकान चलाने वाले शब्बीर निमचवाला ने बताया, ‘हम रोज सफर करने वाले लोग हैं और हम 100% सुरक्षित महसूस करते हैं।’
हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद रिहा
गौरतलब है कि पाकिस्तान की एक अदालत ने आतंकी हाफिज सईद के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं होने को कारण बताकर पिछले गुरुवार को उसे नजरबंदी से रिहा कर दिया। इस घटना की बरसी से चार दिन पहले सईद को रिहा कर पाकिस्तान ने हमले के पीड़ितों के घावों पर नमक छिड़कने का काम किया है। मुंबई हमले के मामले में भारत का पक्ष रखने वाले वकील उज्ज्वल निकम ने कहा कि ‘हमने आतंकी हाफिज सईद के खिलाफ पाकिस्तान को पर्याप्त सबूत सौंपें हैं, मगर वह हमें मूर्ख बना रहा है।’