वॉशिंगटन
दुनिया का खूंखार आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट विडियो बनाकर पश्चिमी देशों के युवाओं को आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है। IS के विडियो में सामान्य विडियोग्राफी नहीं होती बल्कि इसे किसी हॉलिवुड फिल्म की तरह तैयार किया जाता है, जिससे देखने वालों की नजर में वैसा कुछ करने की इच्छा जगे। इसके जरिए आतंकी संगठन पश्चिमी देशों के युवाओं को सुझाव देता है कि वे भी ‘डाई हार्ड’ फिल्म के ब्रुस विलिस के कैरक्टर की तरह हीरो बन सकते हैं।
शिकागो प्रॉजेक्ट ऑन सिक्यॉरिटी ऐंड थ्रेट्स के तहत IS द्वारा जारी किए गए 1400 से ज्यादा विडियो का विश्लेषण किया गया। ये विडियो 2013 से 2016 के बीच जारी हुए थे। अध्ययनकर्ताओं ने कहा कि युवाओं की भर्ती करने के इस प्रयास में महज विडियोग्राफी नहीं थी और इसमें सब कुछ इस्लाम से भी संबंधित नहीं था।
सिक्यॉरिटी सेंटर के डायरेक्टर रॉबर्ट पेप ने कहा कि यह आतंकी संगठन पश्चिमी देशों के लोगों को टारगेट कर रहा है। खासतौर IS के निशाने पर वे लोग है, जिन्होंने हाल ही में धर्म परिवर्तन कर इस्लाम कबूल किया हो। दिलचस्प बात यह है कि जिस तरह से फिल्मों में कहानी को स्क्रीनराइटर लिखता है, उसी प्रकार से ये विडियो भी तैयार किए गए, जिससे इसका व्यापक असर हो।
पेप ने कहा, ‘यह पटकथा एक तरह से हीरो बनने की यात्रा को सामने रखती है। वंडर वुमन फिल्म की तरह इन वीडियोज में ऐसा दिखाया गया है, जैसे आप हीरो बनने के लिए अपनी शक्तियों के बारे में जान रहे हैं।’ यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो के प्रॉजेक्ट ने अलग से उन लोगों का डेटाबेस तैयार किया है, जो अमेरिका में IS से जुड़ी गतिविधियों के लिए आरोपित किए गए हैं। उनमें 36 फीसदी लोगों ने हाल ही में इस्लाम स्वीकार किया था और वे मुस्लिम समुदायों से नहीं आते थे।
प्रॉजेक्ट में बताया गया कि इनमें से 83 फीसदी लोगों ने IS के विडियोज देखे थे। पेप ने कहा कि फिल्मी अंदाज में कहानी कहने के IS के इस सफलता को अब दूसरे आतंकी संगठन भी अपना रहे हैं। रिसर्च में बताया गया है कि अल-कायद के सीरिया गुट ने भी IS की तरह अपने यहां भी युवाओं की भर्ती के लिए हीरो बनने का संदेश देते हुए फिल्में तैयार करने लगा है। यह पैटर्न तेजी से उभर रहा है।
हालांकि खुफिया और कानून प्रवर्तन अधिकारियों का कहना है कि यह अप्रोच पूरी तरह से नया नहीं है। उनका कहना है कि IS किसी भी तरह से पश्चिमी देशों के नागरिकों को भर्ती करने की कोशिश कर रहा है। SITE इंटेलिजेंस ग्रुप के निदेशक रिता काट्ज ने कहा कि हॉलिवुड फिल्मों और विडियो गेम्स की तरह विडियो तैयार कर IS लोगों से अपील कर रहा है। उसका मीडिया ऑपरेशन अल-कायदा से कहीं ज्यादा सफल हो रहा है।
काट्ज ने कहा, ‘हालांकि मीडिया का इस्तेमाल करने के बाद भी IS का संदेश नहीं बदला है। उसके प्रॉपेगैंडा में हॉलिवुड का हीरो बनाने के सपने नहीं दिखाए जाते बल्कि धार्मिक हीरो बनने के लिए कहा जाता है। इन दोनों में काफी अंतर है।’ काट्ज ने आगे बताया कि जब कोई आतंकी कैमरे के सामने बैठकर हमले के लिए कहता है तो वह दुनियाभर में मारे गए मुसलमानों और उनके खिलाफ कथित अत्याचार की बातें करता है, जिससे देखने वालों को बदला लेने के लिए उकसाया जा सके।
ऐसे में कोशिश ये की जाती है कि देखने वाले बदला लेने के लिए इस तरह से उत्साहित हो जाएं कि मरने के लिए भी खुशी-खुशी तैयार हो जाएं और आतंकी संगठन इसे हीरो या फिर शहीद का दर्जा देने की कोशिश करता है।