मध्य प्रदेश विधानसभा में एक बार फिर वास्तुदोष का मामला गर्मा रहा है. विधायकों की असमय मौत के बाद राजनेता इसके लिए वास्तुदोष को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. चौदहवीं विधानसभा में 9 विधायकों का निधन हो चुका हैं, जबकि नए भवन में शिफ्ट होने के बाद 21 साल में अब तक 32 विधायक निधन होने की वजह से अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए.
विधानसभा का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हुआ. विधायक केपी सिंह ने पिछले चार वर्षों में 9 विधायकों की मौत होने का हवाला देकर सदन में वास्तुदोष का मुद्दा उठाया. उन्होंने वास्तुदोष को विधायकों की असमय मौत की वजह बताया है.केपी सिंह के इस मुद्दा उठाने के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष के भी कई विधायकों ने विधानसभा भवन के वास्तुदोष के निराकरण की मांग उठाई.
राज्यमंत्री संजय पाठक ने कहा कि वास्तुदोष को लेकर विधायकों का भ्रम दूर करने की जरूरत है. उन्होंने विधानसभा सचिवालय को वास्तुदोष का परीक्षण कराने की सलाह भी दी.विधानसभा अध्यक्ष सीतासरण शर्मा ने कहा कि अंधविश्वास बढ़ाने वाली बातों पर जोर नहीं दिया जा सकता, लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि वास्तुदोष को लेकर विधायकों की मांग पर विचार किया जाएगा.
विधानसभा के इस नए भवन के बनने के बाद हर बार किसी न किसी कारण से विधायकों की मृत्यु होती रही है. यह संख्या भी छह से अधिक ही रही है.14वीं विधानसभा में अब तक 9 विधायकों का निधन हो चुका है. जून 2016 में नेपानगर से भाजपा विधायक राजेंद्र दादू की सड़क हादसे में असामयिक मौत हो गई, भिंड जिले के अटेर से कांग्रेस विधायक और नेता प्रतिपक्ष सत्यदेव कटारे का भी पिछले वर्ष निधन हो गया.
वर्ष 2013 में शिवराज सरकार के तीसरी बार शपथ लेने के बाद प्रभात पांडे, राजेश यादव, तुकोजीराव पवार, सज्जनसिंह उइके, राजेंद्रसिह दादू और सत्यदेव कटारे निधन हो गया है. इस सूची में इस वर्ष प्रेम सिंह, महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा, राम सिंह यादव का नाम भी जुड़ गया.
चार्ल्स कोरिया ने किया था डिजाइन
आर्किटेक्ट चार्ल्स काेरिया ने देश को जो सौगात दी है उसमें भोपाल में मध्य प्रदेश विधानसभा का नया भवन भी शामिल है. हालांकि, इस भवन को लेकर कई बार सवाल भी उठे और इसे वास्तु के लिहाज से ठीक नहीं माना गया. इस विधानसभा भवन को विधायकों की आकस्मिक मौत का वजह भी माना गया था.
कई वर्षों तक एक गेट बंद
वर्ष 2006 तक 16 विधायकों की आकस्मिक मौत के बाद सरकार को भी बयान देना पड़ा था कि वह इस विधानसभा का निरीक्षण अपने वास्तुशास्त्रियों से करवाएगी. फिर कई साल तक विधानसभा का एक गेट बंद रखा गया था.वर्ष 2006 में राजधानी भोपाल में 16 ऐसे विधायकों की एक लिस्ट घूम रही थी जो तब से मौत का शिकार हुए हैं जब से विधानसभा का कामकाज नई इमारत में शुरु हुआ है
दिग्विजय के शासन काल में यज्ञ
वर्ष 1956 में मध्यप्रदेश के गठन से लेकर 1996 तक राज्य विधानसभा को भोपाल स्थित मिंटो हॉल में संचालित होता था जिसे बाद में चार्ल्स कोरिया के डिज़ाइन किए हुए इस भवन में शिफ्ट किया गया. तबसे किसी न किसी रूप में इस भवन की डिज़ाइन पर सवाल उठाए जाते रहे हैं.दिग्विजय सिंह सरकार के समय वास्तु-दोष की समाप्ति के लिए भवन में बजाबता यज्ञ भी किया गया और इसमें तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी के शामिल होने पर यह मामला और भी विवादित हो गया था.
विधायकों की मौत से डर गई थी सरकार
वर्ष 2006 में विधायकों की आकस्मिक मौत से चिंतित भाजपा सरकार ने तय किया था कि वह विश्व प्रसिद्ध वास्तुशास्त्री चार्ल्स कोरिया के डिजाइन किए गए इस विधानसभा का निरीक्षण अपने वास्तुशास्त्रियों से करवाएगी.तत्कालीन लोक निर्माण मंत्री लोक निर्माण कैलाश विजयवर्गीय ने कहा था कि निरीक्षण पर आधारित एक रिपोर्ट मुख्यमंत्री को पेश की जाएगी और अगर आवश्यकता हुई तो विधानसभा को वास्तुसंगत बनाने के लिए छोटी-मोटी तब्दीलियां भी की जा सकती हैं.2008-13 के बीच विधानसभा अध्यक्ष रहे ईश्वरदास रोहाणी ने भी वास्तुदोष निवारण के लिए यहां पूजा-अर्चना की थी. पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान रोहाणी का भी आकस्मिक निधन हो गया था.
वास्तु पुरुष मंडल सिद्धांत
भवन का गोल आकार, दक्षिण-पश्चिम से आती सड़क, वहां मौजूद छोटे तालाब को वास्तु के लिहाज से ठीक नहीं माना जाता. विधानसभा निर्माण समिति के अध्यक्ष रहे एमएन बुच का पिछले साल निधन हो गया था. वह विधानसभा के वास्तुदोष से इत्तफाक नहीं रहते थे.11 साल पहले एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, ‘भवन की डिजाइन बनाते वक्त चार्ल्स कोरिया ने वास्तु पुरुष मंडल नाम के सिद्धांत को अपनाया था. इस सिद्धांत को ऊर्जा पैदा करने वाला सिद्धांत भी माना जाता है.’
ये विधायक पूरा नहीं कर सके कार्यकाल
11वीं विधानसभा (1998-2003)
ओंकारप्रसाद तिवारी, कृष्णपालसिंह, दरियावसिंह सोलंकी, मगनसिंह पटेल, रणधीरसिंह, लिखिराम कांवरे, शिवप्रतापसिंह, संयोगिता देवी, वेस्ता पटेल, लालसिंह पटेल.
12वीं विधानसभा (2003-2008)
किशोरीलाल वर्मा, दिलीप भटेरे, प्रकाश सोनकर, अमरसिंह कोठार, लवकेश सिंह, लक्ष्मणसिंह गौड़, सुनील नायक.
13वीं विधानसभा (2008-2013)
माखनलाल जाटव, जमुनादेवी, रत्नेश सॉलोमन, खुमानसिंह शिवाजी, हरवंश सिंह, ईश्वरदास रोहाणी.
14वीं विधानसभा (2013 से अब तक)
प्रभात पांडे, राजेश यादव, तुकोजीराव पवार, सज्जनसिंह उइके, राजेंद्रसिह दादू, सत्यदेव कटारे, प्रेम सिंह, महेन्द्र सिंह कालूखेड़ा, राम सिंह यादव.