ढाका: बांग्लादेश उच्च न्यायालय ने 2009 के सैन्य विद्रोह को लेकर दोषी ठहराए गए 139 सैनिकों की मौत की सजा और 146 की उम्र कैद की सजा आज बरकरार रखी। यह देश का अब तक का सबसे बड़ा आपराधिक मामला है। गौरतलब है कि इस सैन्य विद्रोह में 57 सैन्य अधिकारियों सहित 74 लोगों का नरसंहार किया गया था।
अटार्नी जनरल महबूब आलम ने मीडिया ब्रीफिंग में कहा, ‘‘139 को फांसी के तख्त पर चढना होगा और 146 को उम्र कैद होगी।’’ उन्होंने उच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय एक पीठ के फैसले का हवाला देते हुए कहा। आलम ने कहा कि विद्रोहियों ने सैन्य विद्रोह किया ताकि कोई सैन्य अधिकारी बीडीआर में ना बच सके। इसलिए उन्होंने थल सेना के अधिकारियों की व्यवस्थित रूप से हत्या की। हालांकि, बचाव पक्ष के वकील अमीनुल इस्लाम ने फैसले को अप्रत्याशित और न्याय की अवज्ञा बताया।
अटार्नी जनरल ने कहा, ‘‘न्याय पाने के लिए दोषियों को मैं सुप्रीम कोर्ट के अपीलीय डिवीजन में अपील दायर करने की सलाह दूंगा।’’ दरअसल, चार साल पहले ढाका की एक निचली अदालत ने बीडीआर के 152 सैनिकों को मौत की सजा, जबकि 158 सैनिकों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। पीठ ने कहा है कि यह (सैन्य विद्रोह) एक प्रशिक्षित और दक्ष पेशेवर बल को साजिश के जरिए तहस नहस करने की एक कोशिश थी।
बीडीआर के जवानों पर सैन्य विद्रोह की साजिश रचने, अपने अधिकारियों को प्रताडि़त करने एवं उनकी हत्या करने, उनके सामान लूटने या बगावत के दौरान उनके परिवार के सदस्यों को बंधक रखने के आरोप हैं। बांग्लादेश के इतिहास में किसी मामले में इससे पहले कुल 850 आरोपियों पर मुकदमा नहीं चला था।