नई दिल्ली
देश में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों में इस साल कमी आई है। साल 2017 की तीन तिमाहियों का आकलन पिछले साल (2016) की तिमाहियों से करें, तो यह आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले 5000 कम है। सड़क सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पैनल के साथ सरकार ने यह डेटा साझा किया है। इस डेटा के मुताबिक सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों में यह आंकड़ा किसी भी साल की तुलना में बेहतर है। सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों के लिहाज से सबसे ज्यादा सुधार पंजाब में देखने को मिला है। यहां 14.4 फीसदी की गिरावट आई है वहीं पश्चिम बंगाल में 13.7 फीसदी की सुखद कमी दर्ज की गई है।
इस साल अभी तक महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 807 लोगों ने सड़क दुर्घटनाओं के कारण अपनी जान गंवाई है। इसके बाद गुजरात का नाम आता है, जहां 775 लोगों की जान गई। केंद्र शासित प्रदेशों में राजधानी दिल्ली का आंकड़ा भी सुधरा है। यहां साल 2016 में कुल 1212 लोगों की जान गई थी। वहीं इस साल 1093 लोगों की जान गई। वहीं जनवरी से सितंबर 2017 के दौरान चंडीगढ़ में रोड एक्सीडेंट के कराण होने वाली मौतों में 25.2 फीसदी की कमी हुई है।
इस कड़ी में बिहार में हालात पहले से भी ज्यादा खराब हुए हैं। इस साल यहां सड़क दुर्घटनाओं में 378 लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे इसके बाद उड़ीसा की स्थिति भी चिंताजनक बनी है। यहां इन मौतों में करीब 50 फीसदी का उछाल आया है। 2016 में में जहां यहां 3306 लोगों की जान गई थी, वहीं इस बार अब तक 3495 लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं।
सड़क परिवहन मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘देशभर में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों में आई कमी से यह साफ है कि राज्यों के सराहनीय प्रयासों के कारण इस आंकड़े में सुधार आया है। इस रेकॉर्ड में सुधार करने के लिए हम दृढ़संकल्प थे। क्योंकि सड़क दुर्घटना के कारण होने वाली मौत सिर्फ एक नंबर नहीं है बल्कि हर मृत्यु से एक पूरा परिवार प्रभावित होता है। हम विभिन्न एजेंसियों के माध्यम से सड़क दुर्घटनाओं को टालने के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं।
दुनिया भर में सड़क दुर्घटना के कारण होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा मौतें भारत में ही होती हैं। सड़क दुर्घटना के कारण होने वाली हर 10 में 1 मौत भारत में ही होती है। वैश्विक सड़क सुरक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, जब तक भारत अपने सड़क दर्घटना के कारण होने वाली मौतों के रेकॉर्ड में सुधार नहीं लाता है, तब तक वैश्विक स्तर पर सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली मौतों को आधा करने का लक्ष्य हासिल करना संभव नहीं है।