जबलपुर
हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कानूनी बिंदु प्रतिपादित करते हुए कहा कि किसी भी रेप विक्टिम को रेपिस्ट के बच्चे को जन्म देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि दुराचार से प्रेग्नेंट होकर हर दिन की वेदना और प्रताड़ना का विक्टिम के मेंटल हेल्थ पर अपोजिट इफेक्ट पड़ता है। इतना ही नहीं विक्टिम की वेदना का असर बच्चे के मेंटल हेल्थ पर भी पड़ता है। इस ओपिनियन के साथ जस्टिस सुजॉय पॉल की एकलपीठ ने 20 सप्ताह की गर्भवती दुराचार की शिकार एक नाबालिग विक्टिम को अबॉर्शन कराने की सशर्त इजाजत दे दी।
हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए कि 24 घंटे के भीतर 3 विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमेटी गठित करे और पीड़ित की जांच कराएं। कोर्ट ने कहा कि यदि दो डॉक्टरों की राय मिलती है तो तुरंत अबॉर्शन की प्रक्रिया पूरी करें। कोर्ट ने साफ कहा कि विक्टिम के अबॉर्शन और उसके बाद के इलाज का सारा खर्च सरकार उठाएगी। कोर्ट ने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी है कि इलाज के दौरान पीडि़ता की अच्छी तरह से देखभाल हो। खंडवा के बूंदी में रहने वाले एक किसान ने याचिका दायर कर ज्यादती के बाद प्रेग्नेंट हुई अपनी नाबालिग बेटी का अबॉर्शन कराने की अपील की थी।