नई दिल्ली
चीन द्वारा एनएसजी में एंट्री के लिए लगातार रोड़े अकटाते रहने के बीच भारत ने एक बड़ी सफलता हासिल कर ली है। गुरुवार को भारत ने वासेनार अरेंजमेंट में 42वें सदस्य के तौर पर प्रवेश किया है। बता दें कि पिछले वर्ष ही मिसाइल टेक्नॉलजी कंट्रोल रिजाइम में भी भारत को प्रवेश मिला है। इन दोनों ही संगठनों में चीन शामिल नहीं है और भारत ने काफी पहले ही वासेनार अरेंजमेंट की सदस्यता के लिए कोशिशें शुरू कर दी थी।
क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा और निर्यात नियंत्रण व्यवस्था देखने वाली संस्था वासेनार अरेंजमेंट में शामिल होना भारत के लिए बड़ी उपलब्धि है। 48 सदस्यों वाले एनएसजी के लिए भी भारत की दावेदारी इससे मजबूत होगी। इसके सदस्य देशों के बीच हथियारों के हस्तांतरण में पारदर्शिता को बढ़ावा दिया जाता है। इसके साथ ही भारत ऑस्ट्रेलियाई ग्रुप में शामिल होने के लिए भी अपनी कोशिशें तेज कर दी हैं। एनएसजी में भारत की सदस्यता के विरोध में चीन अपने अड़ियल रवैये पर अडिग है।
विदेश मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को जारी किए गए बयान में कहा गया, ‘वासेनार अरेंजमेंट की सदस्यता मिलने के बाद भारत की कोशिश भारतीय हथियार और स्पेस कार्यक्रमों के लिए उच्च स्तरीय तकनीक के सुगम आदान-प्रदान की रहेगी। सदस्य देशों के साथ निर्यात नियंत्रण नीति के तहत काम करना जिनमें निर्माण कार्य और चुनिंदा लाइसेंस छूट आदि शामिल हैं।’
भारत को अभी भी हाई-टेक निर्माण के लिए, ड्यूल-यूज निर्यात के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन करना पड़ता है, लेकिन अब उम्मीद है कि यह प्रक्रिया काफी आसान हो जाएगी। भारत और अमेरिका के बीच परमाणु समझौते के बाद यह चौथा अप्रसार समूह है जिसकी सदस्यता भारत को मिली है। महत्वपूर्ण बात यह है कि इनमें से 3 समूहों का चीन सदस्य नहीं है। वासेनार अरेंजमेंट में शामिल होने के लिए भारत की तरफ से औपचारिक आवेदन 2016 में किया गया था। बता दें कि 2014 से ही इसके लिए प्रयास शुरू कर दिए गए थे।
यहां ध्यान देने की बात यह भी है कि देश के कुछ अति आशावादी समूहों को ऐसी उम्मीद है कि नई दिल्ली एमटीसीआर और वासेनार में चीन को सदस्यता दिलाने का लाभ उठा सकता है। चीन ने भी दोनों संगठनों में सदस्यता के लिए आवेदन किया है। चीन के शर्तों के उल्लंघन के इतिहास को देखते हुए उसकी सदस्यता अभी तक रुकी हुई है। आवेदन के लिए जरूरी शर्तों के आधार पर भी चीन का पलड़ा थोड़ा कमजोर जरूर है। एमटीसीआर और वासेनार में भारत की सदस्यता का समर्थन 35 और 41 सदस्यों ने किया। इनमें से ज्यादातर देश एनएसजी के भी मेंबर हैं। नॉन-एनपीटी पर भारत का स्टैंड इन दोनों समूहों की सदस्यता में किसी तरह का बाधा नहीं बना। वीडियो: गुजरात में ‘वोट के बदले नोट’ का खेल, ऐसे दिए जा रहे हैं पैसे