नई दिल्ली
दागी सांसदों और विधायकों के खिलाफ चल रहे मामलों की सुनवाई के लिए केंद्र सरकार के विशेष अदालतों के गठन के प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट ने मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट्स के काम शुरू करने के लिए 1 मार्च की डेडलाइन तय की है। रंजन गोगोई और नवीन सिन्हा की बेंच ने ऐतिहासिक फैसले में कहा कि यह अभी शुरुआत है और भविष्य में ऐसी और अदालतों का गठन किया जाएगा ताकि जनप्रतिनिधियों पर दर्ज मामलों की जल्द से जल्द सुनवाई हो सके।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से नेताओं के खिलाफ दर्ज केसों के जल्द निपटारे लिए केंद्र सरकार को विशेष अदालतों के गठन का आदेश दिया गया था। इस पर केंद्र ने कहा था कि वह पहले चरण में 12 स्पेशल अदालतों का गठन करने जा रही है, जो 1,581 सांसदों और विधायकों पर दर्ज मामलों के निस्तारण का काम करेंगी। सरकार ने ऐसे मामलों को एक साल के भीतर निपटाने की बात कही है। केंद्र और सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन दागी नेताओं के लिए झटका माना जा रहा है, जो आपराधिक मामलों में नामजद होने के बाद भी पद पर बने रहते हैं।
अब दागी नेताओं पर दर्ज मामलों के निपटारे जल्दी हो सकेंगे और उन्हें चुनाव प्रक्रिया से बाहर करने में मदद मिलेगी। केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया कि सांसदों और विधायकों पर दर्ज केसों की सुनवाई के लिए 12 स्पेशल कोर्ट बनेंगे। इनमें से 2 अदालतों में 228 सांसदों पर दर्ज मामलों की सुनवाई होगी, जबकि 10 अन्य अदालतें आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और बंगाल में गठित होंगी। ये ऐसे राज्य हैं, जहां 65 से अधिक विधायकों के खिलाफ आपराधामिक मामले चल रहे हैं।