जबलपुर
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने व्यापम से जुड़े पीएमटी 2012 घोटाले के हाई प्रोफाइल आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी है. एक दिन पहले कोर्ट ने सुनवाई पूरी करते हुए फैसले को सुरक्षित रखा था. कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों की जमानत नामंजूर कर दी.
बता दें कि पीएमटी फर्जीवाड़ा 2012 में जांच के घेरे में आए प्राइवेट मेडिकल कॉलेज संचालक, व्यापम और चिकित्सा शिक्षा के अधिकारियों पर सीबीआई ने शिकंजा कसा था और नवम्बर के आखिरी सप्ताह में चार्जशीट फाइल की थी, जिसमें करीब 600 लोगों को आरोपी बनाया था.
सीबीआई ने 592 आरोपियों के खिलाफ प्रवेश घोटाले में उनकी कथित संलिप्तता के लिए भोपाल स्थित सीबीआई की एक विशेष अदालत में आरोपपत्र दायर किया था. इन आरोपियों में चार निजी मेडिकल कॉलेजों के चेयरमैन शामिल हैं.
अधिकारियों ने बताया कि प्रमोटरों में एलएन मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन जेएन चौकसे, पीपुल्स मेडिकल कॉलेज के एसएन विजयवर्गीय, चिरायु मेडिकल कॉलेज के अजय गोयनका (सभी भोपाल में) और इंदौर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के सुरेश सिंह भदौरिया शामिल हैं.
सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि कथित रूप से नियमों का उल्लंघन करके प्रबंधन कोटे के तहत इन चार कॉलेजों में कुल 229 प्रवेश हुए जिसके लिए प्रति सीट 50 लाख से एक करोड़ रुपये वसूले गए. इन आरोपियों में प्राइवेट मेडिकल कॉलेज के संचालक पदाधिकारी और सरकारी नुमाइंदे शामिल थे. सीबीआई द्वारा मामला दर्ज करने के बाद सेशन कोर्ट से जमानत अर्जी खारिज होने पर करीब 7 लोगों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी. जिनमें,
– चिरायु मेडिकल कॉलेज के डॉ अजय गोयनका
– पीपुल्स ग्रुप के डॉ विजय कुमार पंड्या
– पीपुल्स ग्रुप के विजय कुमार नामनानी
– पूर्व जॉइन्ट DME एन एम श्रीवास्तव
– पूर्व DME डॉ एस सी तिवारी
– एल एन मेडिकल कॉलेज के डॉ दिव्य किशोर सतपथी
– एल एन मेडिकल कॉलेज के जय नारायण चौकसे ने ज़मानत याचिकाएं लगाई थी.
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की मुख्य पीठ के समक्ष सभी जमानत अर्जियों पर लंबी बहस चली थी. हाईकोर्ट ने करीब सात जमानत याचिकाओं पर फैसला पूर्व में ही सुरक्षित कर लिया था और गुरुवार को सभी पर फैसला आया.अदालत ने स्पष्ट लहजे में सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए किसी भी प्रकार की राहत देने से इंकार किया है. जमानत अर्जियों पर बहस के दौरान हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि यह घोटाला महाघोटाला है, जिसमें सैकड़ों छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ किया गया और योग्य छात्रों को उनके हक से वंचित रखा गया है.